भारत ने नया भूकंप खतरे का नक्शा जारी कर दिया है. अब देश का 61% हिस्सा मध्यम से बहुत ज्यादा खतरे में है. सबसे बड़ा बदलाव – पूरा हिमालय पहली बार सबसे ऊंचे जोन VI में डाला गया है. मध्य हिमालय में 200 साल से बड़ा भूकंप नहीं आया, इसलिए वहां बहुत दबाव जमा है. देहरादून, ऋषिकेश, दिल्ली-NCR जैसे इलाके अब और खतरनाक हो गए हैं.
*कानपुर में कितना खतरा है ??*
कानपुर अब “देखने योग्य/संभावित रिस्क” में जरूर आया है
भले ही कानपुर सीधे हिमालय से न जुड़ा हो, नए जोनिंग मानचित्र और वैज्ञानिक मूल्यांकन दिखाते हैं कि मैदानी इलाकों — खासकर जो हिमालय के समीप (या प्रभावित भूगर्भीय परिवर्तनों) में आते हों — उनका जोखिम फिर से आंका जा रहा है।
“किसी भी जोन-सीमा के पास” स्थित इलाकों को उच्च जोखिम श्रेणी में रखा जा सकता है — और इस नएेड डेटा से कानपुर जैसे शहरों के लिए सावधानी-वरिष्ठता ज़रूरी बन जाती है।
मतलब: कानपुर को अब “पूर्ववत सुरक्षित से मध्यम/संभावित जोखिम” के हिसाब से देखा जाना चाहिए; यानी अब सिर्फ “मौसम सूखा” जैसा हल्का खतरा नहीं, बल्कि “भूकंपीय तैयारी / बचाव / निर्माण सुरक्षा” पर फिर से ध्यान देने की जरूरत है।
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️ क्या करना चाहिए — कानपुर में रहने वालों / योजनाकारों के लिए सुझाव
पुराने मकानों / भवनों की भूकंप-रोधी समीक्षा (retrofit) करें — पहले जैसा निर्माण पर्याप्त नहीं होगा।
नई बिल्डिंग्स या सरकारी योजना बनाते समय 2025 का नया ज़ोनिंग मानचित्र और सिफारिशें (जिन्हें Bureau of Indian Standards — BIS ने जारी किया है) जरूर ध्यान में रखें।




