कानपुर
*भ्रष्टाचार और लूट का विभाग कहा जाने वाला शहर का केडीए विभाग, जहां हो रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना मतलब सांप के बिल में हाथ डालना के समान है, इसीलिए वर्षों से हो रहे जमीनों पर लूट की कार्यवाही नहीं हो पा रही है*
*प्रदेश और शहर का सबसे भ्रष्ट विभाग कानपुर विकास प्राधिकरण से आज तक किसी को भी ज़मीनी मामले से निजात नहीं मिल सकी है बल्कि ज़मीन पर हेरा फेरी ज़रूर कर ली गई है*
*शहर की जनता को लूटने वाला लुटेरा विभाग जाना जाने वाला केडीए विभाग जहां लूट के अलावा कोई काम नहीं, जिसकी रहती हैं ज़मीन उसी पर नहीं रहता उसका हक*
*वहीं एक मामले में पीड़ित को जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह द्वारा मिला न्याय*
*जिलाधिकारी की सख़्ती से 1 घंटे में मिला 3 साल पुराना समाधान*!
*कानपुर के सकरापुर निवासी मनोज कुमार निगम पिछले तीन वर्षों से गाटा संख्या 33, 46 व 147 पर अतिक्रमण और दबाव की समस्या से परेशान थे। चौतरफा हो रही प्लाटिंग के कारण मामला लगातार उलझता गया और समाधान के लिए उन्होंने केडीए, लेखपाल, कानूनगो और तहसील के महीनों चक्कर काटे, लेकिन नक्शा उपलब्ध न होने से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही थी*।
*थकहार कर मनोज कुमार निगम ने जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह से न्याय की गुहार लगाई। डीएम ने तुरंत गंभीरता दिखाते हुए रिकॉर्ड रूम को आदेश दिया*।
*नतीजा,सिर्फ 1 घंटे में ही विवादित ज़मीन का नक्शा खोजकर डीएम के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया*।
*तीन साल से अटके मामले का समाधान एक घंटे में होते ही पीड़ित ने गहरी राहत महसूस की*।
डिस्ट्रिक हेड
राहुल द्विवेदी की रिपोर्ट




