यूपी के सभी गांवों की ज़मीनों के नक्शे होंगे ऑनलाइन, डिजिटल मैपिंग से बदलेगी राजस्व व्यवस्था
फिरोज खान/यूपी हेड
ब्यूरो रिपोर्ट/राजेश सिंह
उत्तर प्रदेश सरकार अब ग्रामीण क्षेत्रों की जमीनों से जुड़े विवादों और रिकॉर्ड प्रबंधन को पूरी तरह पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। पहली बार राज्य के सभी गांवों की ज़मीनों के नक्शे ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे खेत, घर और ग्राम सीमाओं से जुड़ी जानकारी अब किसी भी नागरिक की पहुंच में होगी। यह काम अत्याधुनिक सैटेलाइट तकनीक की मदद से किया जा रहा है।
राज्य की 57,694 ग्राम पंचायतों में फैली जमीनों का डिजिटलीकरण किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, यह कार्य योजना राजस्व और भूमि प्रबंधन प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव लाएगी, क्योंकि अब नक्शों के लिए लेखपालों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। अब तक कागजी नक्शे केवल लेखपालों के पास होते थे, जिन्हें आम नागरिकों को देखने में काफी मुश्किल होती थी।
नई तकनीक की मदद से तैयार होने वाले ये डिजिटल नक्शे 15 से 30 सेंटीमीटर तक की सटीकता देंगे, जिससे किसी भी भूखंड, मकान या खेत की सीमाएं स्पष्ट रूप से दिखाई देंगी। भूमि रिकॉर्ड विभाग का दावा है कि यह तकनीक ग्रामीण क्षेत्रों में गलत सीमांकन, विवादों और कब्जे से जुड़ी शिकायतों को बहुत हद तक समाप्त कर देगी।
सबसे महत्वपूर्ण फीचर यह है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर केवल गाटा नंबर डालने से ही कोई भी व्यक्ति सीधे उस जमीन के डिजिटल लोकेशन तक पहुंच जाएगा। यानी, जिस खेत या घर की जानकारी चाहिए—वह ऑनलाइन नक्शे में तुरंत दिखाई देगा। नक्शे में हर गाटा का रकबा (एरिया) भी स्पष्ट रूप से दर्शाया जाएगा, जिससे रजिस्ट्री, नामांतरण और फसल बीमा जैसी प्रक्रियाएं भी सरल हो जाएंगी।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “यह प्रोजेक्ट ग्रामीण आवास और कृषि भूमि से जुड़े विवादों को लगभग समाप्त कर देगा। गांवों की सीमा तय करने से लेकर हर भूखंड का आकार, स्थिति और स्वामित्व रिकॉर्ड अब किसी भी मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन पर उपलब्ध होगा।”
डिजिटल मैपिंग के बाद ग्रामीणों को अब जमीन नापने या सीमांकन के लिए अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। किसान अपने खेत का सही मापन ऑनलाइन देख सकेंगे, और किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में सटीक रिकॉर्ड का हवाला देकर फैसला तुरंत संभव होगा। साथ ही, आवासीय योजनाओं, सड़क निर्माण या अन्य विकास कार्यों में भी ये डिजिटल नक्शे बड़ी भूमिका निभाएंगे।
सरकार का दावा है कि यह प्रोजेक्ट न सिर्फ राजस्व व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगाएगा। लेखपाल स्तर पर होने वाली हेरफेर की शिकायतें काफी कम होंगी, क्योंकि अब रिकॉर्ड पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी होगा।
सैटेलाइट आधारित यह मैपिंग आने वाले समय में यूपी को भारत के मॉडल राज्य के रूप में स्थापित कर सकती है, जहां ग्रामीण भूमि प्रबंधन पूरी तरह आधुनिक और तकनीक-आधारित हो जाएगा। सरकार ने वर्ष 2025 के अंत तक सभी ग्राम पंचायतों का डिजिटलीकरण पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।




