उत्तर प्रदेश में सड़क पर चलने के लिए आम जनता के लिए और पुलिस कर्मियों के लिए नियम अलग अलग है क्या S.P Trafic महोदय या फिर आप आदेश दे तो पुलिस कर्मियों की फोटो खींच कर आम जनता ओर मीडिया कर्मी ही ऐसे पुलिस कर्मियों की फोटो लेकर न्यूज चलदे
एक बाइक पर दो पुलिसकर्मी सवार होकर बाइक से फर्राटा भरते नजर आए हैं बिना हेलमेट गाड़ी में नंबर प्लेट भी पुरानी लगी हुई है क्या इनके लिए कोई नियम कानून नहीं है
टाइम्स एंड स्पेस
डिस्टिक हेड राहुल द्विवेदी
प्रधान संपादक
हिमांशु श्रीवास्तव
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कानपुर नगर
नमक फैक्ट्री छपेड़ा पुलिया से 100 मीटर पहले उत्तर प्रदेश ट्रैफिक पुलिस के द्वारा वाहन चेकिंग की जा रही थी
चेकिंग के दौरान हेलमेट लगाए आ रहे बाइक सवार व्यक्ति को पुलिस कर्मियों द्वारा रोका गया उससे ड्राइविंग लाइसेंस मांगा गया ड्राइविंग लाइसेंस दिखाने के बाद हेलमेट पहन कर जब व्यक्ति वापस अपने कार्य के लिए जाने लगा इस दौरान एक सिपाही आगे से एक सिपाही पीछे से फोटो खींचते हैं और ₹2000 का चालान करते हैं
जब बाइक सवार द्वारा पुलिस से अनुरोध किया गया कि किसी कारणवश इंश्योरेंस खत्म हो गया है नहीं हो पाया है 20 साल में कभी ऐसा नहीं हुआ है और 20 साल में नहीं कभी चालान हुआ है पहला मौका है इसलिए पहले गलती क्षमा करें लेकिन वहां बैठे इंस्पेक्टर डॉ कुलदीप पांडेय के द्वारा बाइक सवारी युवक से अभद्रता की गई एवं ₹2000 का चालान करके उसको वहां से जाने के लिए बोल दिया
बाइक सवार युवक के द्वारा डीसीपी ट्रैफिक कानपुर को फोन किया गया लेकिन उनका फोन नहीं उठने के कारण बाइक सवार युवक ने एडिशनल एसपी / डीसीपी ट्रैफिक अर्चना सिंह को फोन करके बताई अपनी पीड़ा
कानपुर नगर में दिनभर तमाम पुलिसकर्मी बिना हेलमेट बिना इंश्योरेंस बिना गाड़ी के कागज कंप्लीट किए गाड़ी से दिनभर फर्राटे भरते हैं उनके चालान क्यों नहीं होते हैं क्योंकि यह पुलिसकर्मी है और विभाग का मामला है सारे नियम कानून सिर्फ गरीब जनता पर लागू होते हैं
नियम बनाने वाले खुद ही नियम का पालन नहीं करते हैं और खुले आम नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं एक बाइक पर दो पुलिसकर्मी सवार होकर बाइक से फर्राटा भरते नजर आए हैं बिना हेलमेट गाड़ी में नंबर प्लेट भी पुरानी लगी हुई है क्या इनके लिए कोई नियम कानून नहीं है




