लखनऊ,प्राचीन हनुमान मंदिर क्षतिग्रस्त, क्षेत्र में आक्रोश
जनप्रतिनिधियों को नहीं हुई सूचना, स्थानीय प्रशासन पर सवाल
इन सभी कारनामों के पीछे ओशोनगर विकास समिति का है हाँथ.इस समिति के सभी सदस्य भ्रस्टाचार और अवैध तरीके के धन उगाही मे रहते है लिप्त.
क्षेत्रीय की जनता ओशो नगर समिति का पुरजोर विरोध करती है. और मा. मुख्य्मंत्री जी और प्रधानमंत्री जी से आग्रह करती है की ओशोनगर विकास समिति के ऊपर कार्यवाही करके, ध्वस्त किये गए हनुमान मंदिर क़ो पुनः निर्माण कराकर स्थापित किया जाये.
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लखनऊ। थाना कृष्णा नगर अंतर्गत चौकी भोला खेड़ा क्षेत्र के कनौसी फाटक पर स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर को क्षतिग्रस्त किए जाने का मामला गंभीर विवाद का रूप लेता जा रहा है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि ओशो नगर के कुछ स्वयंभू लोग सड़क चौड़ीकरण का हवाला देकर मंदिर पर जेसीबी चलवा गए, जबकि मंदिर में रह रहीं वृद्धा पुजारिन ने इसका कड़ा विरोध किया था।प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पुजारिन के मना करने के बावजूद मौके पर पहुंचे लोग नहीं माने और जेसीबी लगवाकर मंदिर को ध्वस्त कर दिया। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में भारी नाराजगी है।स्थानीय निवासियों ने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिंदू संस्कृति, धार्मिक स्थलों और आस्था के संरक्षण को,
प्राथमिकता दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सड़क चौड़ीकरण के नाम पर प्राचीन मंदिरों को हटाना समझ से परे है—वह भी ऐसे लोगों द्वारा जो स्वयं को हिंदू समाज से जुड़े बताते हैं।क्षेत्रीय लोगों का यह भी कहना है कि कनौसी फाटक ओशो नगर क्षेत्र में लखनऊ कैंट के विधायक एवं उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, तथा लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल सहित कई जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भी लखनऊ मे रहते हैं, लेकिन इस गंभीर घटना की जानकारी इन तक नहीं पहुंचाई गई या फिर अनदेखी की गई।इससे स्थानीय प्रशासन और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों की सक्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं।निवासियों का आरोप है कि स्वयंभू तरीके से कार्य करने वाले कुछ लोगों ने बिना अनुमति और बिना प्रशासनिक प्रक्रिया के मंदिर को नुकसान पहुंचाया, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।जनता की मांग है कि डबल इंजन की सरकार में ऐसे कृत्य करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए और दोषियों पर ‘बाबा का बुलडोज़र’ कब चलेगा, यह प्रशासन स्पष्ट करे।
लोगों ने यह भी कहा कि यदि ऐसे मामलों पर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो धार्मिक और सामाजिक सौहार्द पर विपरीत असर पड़ेगा।




