जनसुनवाई पोर्टल बना तमाशा – गुनहगार से सफ़ाई मांग रही सरकार!

ब्यूरो चीफ़, जालौन – शैलेन्द्र सिंह तोमर
जालौन। जिस जनसुनवाई पोर्टल को आमजन की आवाज़ और न्याय की सीढ़ी समझा गया था, वह अब नौकरशाही के खेल का मैदान बनता जा रहा है। कालपी नगर पालिका के भ्रष्टाचार की शिकायत में जब आरोपितों के खिलाफ काग़ज़ी साक्ष्य साफ़ हों — तब शासन-प्रशासन की ओर से “सिर्फ़ सफ़ाई मांगकर” कार्रवाई को टालना, एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।
शिकायत में बताया गया है कि कालपी नगर पालिका द्वारा दुकानों के आवंटन में लाखों रुपये की वसूली तो की गई, रसीदें काटी गईं, पर वह धन सरकारी खाते में जमा नहीं हुई।
रसीद संख्या 54774, 54777, 54782 जैसी कई प्रविष्टियाँ इसकी पुष्टि करती हैं।
फिर भी, आदेश दिनांक 28-07-2025 को जिलाधिकारी को जारी निर्देश में लिखा गया है कि “शिकायतकर्ता द्वारा असंतुष्ट फीडबैक प्राप्त होने पर उच्च अधिकारी को पुनः परीक्षण हेतु प्रेषित” किया गया है। और स्थिति “अनमार्क” पर खड़ी है।
इससे पहले 14-07-2025 को संबंधित अधिशासी अधिकारी को आदेश भेजे जाने के बाद भी, सिर्फ़ “आख्या प्रेषित है” जैसी टिप्पणी की गई — न कोई कार्रवाई, न जवाबदेही।
जनता पूछ रही है:
क्या दोषी से ही उसकी सफ़ाई मांगना न्याय है?
क्या शिकायतकर्ता का काम बस बटन दबाना है?
क्या जनसुनवाई एक फ़ॉर्मैलिटी बन चुकी है?
अब ज़रूरत है कि इस प्रकरण की उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच हो, और अधिशासी अधिकारी, लिपिक, राजस्व निरीक्षक तथा संबंधित संविदा कर्मी पर नियमों के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
जनता देख रही है — जवाब अब भी न मिला, तो भरोसा उठ जाएगा




