“सावन में बह रही आस्था, यमुना में बह रहा अपराध – कब जागेगा प्रशासन?”
ब्यूरो चीफ़ जालौन – शैलेन्द्र सिंह तोमर
कालपी (जालौन)।
सावन का महीना चल रहा है – हर तरफ हरियाली, श्रद्धा और भक्ति की लहरें दौड़ रही हैं। शिव भक्त कांवर लेकर जलाभिषेक के लिए निकल रहे हैं, पर इसी पावन समय में यमुना नदी के गर्भ में एक क्रूर साजिश पल रही है। अवैध रूप से मछली शिकार का गोरखधंधा धड़ल्ले से जारी है।
स्थानीय लोगों की मानें तो हर रोज़ सुबह-शाम जाल बिछाए जाते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में मछलियों के साथ उनके छोटे-छोटे बच्चे और गर्भवती मछलियाँ फंसती हैं। यह सब एक संगठित गिरोह द्वारा खुलेआम किया जा रहा है, लेकिन प्रशासन मौन है और जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।
कानून ताक पर, आस्था पर वार
मछली प्रजनन के इस मौसम में सरकार द्वारा शिकार पर स्पष्ट रोक है। बावजूद इसके शिकारियों को न कोई डर है, न किसी सजा का भय। प्रतिबंधित तरीकों से शिकार हो रहा है – बिजली के झटके, बारीक जाल, और जहर तक का इस्तेमाल होने की बातें सामने आई हैं।
जनता में उबाल, हिंदू समाज नाराज़
कालपी के नागरिकों और हिंदू संगठनों में इस मसले को लेकर भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि सावन जैसे धार्मिक महीने में इस तरह की हरकतें न सिर्फ पर्यावरण और जीवन चक्र के खिलाफ हैं, बल्कि यह आस्था का भी अपमान है।
प्रशासन को खुला अल्टीमेटम
अब जनता ने चेतावनी दे दी है – अगर जल्द ही इस संगठित अपराध गिरोह के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई, तो बड़े स्तर पर आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
आखिर सवाल यही है —
“जब श्रद्धा का समय है, तो अपराध की छूट क्यों?”
“क्यों नहीं टूट रही प्रशासन की चुप्पी?”




