“भव्य पार्टी कार्यालय बनाम जर्जर स्कूल: बच्चों का भविष्य सवालों में”
ब्यूरो चीफ जालौन – शैलेन्द्र सिंह तोमर
जहां एक तरफ राजनीतिक दलों के कार्यालय आलीशान इमारतों में चमकते हैं, वहीं दूसरी ओर देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को जर्जर और गिरते हुए स्कूलों में पढ़ने को मजबूर किया जा रहा है।
ऊपर की तस्वीर भारतीय जनता पार्टी के भव्य कार्यालय की है — चमचमाता फर्श, झंडों से सजा परिसर, सुरक्षा व्यवस्था से लैस गेट। और नीचे की तस्वीर उसी देश के एक सरकारी स्कूल की है — फटे हुए छत, उखड़ती दीवारें, बैठने को फर्श और बच्चों की आँखों में डर और बेबसी।
क्या यही है “सबका साथ, सबका विकास”?
क्या यही हैं “नई शिक्षा नीति” के आधार?
जहाँ फैसले लेने वाले वातानुकूलित कमरों में बैठते हैं, वहीं जिनके लिए फैसले लिए जाते हैं, वो खुले आसमान तले टपकती छतों के नीचे बैठते हैं।
ये तस्वीरें सिर्फ इमारतों की नहीं हैं, ये तस्वीरें सोच की हैं — सत्ता की प्राथमिकताओं की और हमारे भविष्य के साथ हो रहे अन्याय की।




