यूपी बीजेपी अध्यक्ष पद की रेस में छह नाम, जातीय संतुलन और संगठनात्मक अनुभव पर जोर
फिरोज ख़ान की रिपोर्ट
पूर्वांचल से लेकर पश्चिम तक और ब्राह्मण से दलित तक: नए नेतृत्व के लिए भाजपा ने हाईकमान को भेजे छह पावरफुल नाम
लखनऊ-उत्तर प्रदेश में 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने संगठन में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। सबसे अहम परिवर्तन राज्य इकाई के अध्यक्ष पद को लेकर किया जा रहा है। पार्टी ने नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए छह नामों की एक अहम सूची केंद्रीय नेतृत्व को भेजी है, जिनमें जातीय संतुलन के साथ-साथ संगठनात्मक अनुभव और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का खास ध्यान रखा गया है।
जातीय संतुलन पर खास फोकस
भाजपा की ओर से जिन नेताओं के नाम दिल्ली भेजे गए हैं, उनमें दो ब्राह्मण, दो ओबीसी और दो दलित समुदाय के नेता शामिल हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व जल्दी ही इनमें से एक नाम को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुन सकता है।
छह संभावित नाम कौन-कौन हैं:
1. डॉ. दिनेश शर्मा (ब्राह्मण) – लखनऊ के पूर्व महापौर और प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की छवि एक शिक्षाविद और ईमानदार राजनेता के तौर पर स्थापित है। उन्हें आरएसएस और पार्टी नेतृत्व दोनों का विश्वास प्राप्त है।
2. हरीश द्विवेदी (ब्राह्मण) – बस्ती से पूर्व सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव रह चुके द्विवेदी का संगठन पर मजबूत पकड़ है। उन्हें पूर्वांचल का जाना-पहचाना चेहरा माना जाता है।
3. धर्मपाल सिंह (ओबीसी) – यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री और लोध समुदाय के प्रभावशाली नेता धर्मपाल सिंह पार्टी के पुराने वफादार हैं और प्रशासनिक अनुभव के धनी हैं।
4. बी.एल. वर्मा (ओबीसी) – केंद्रीय राज्य मंत्री और संगठन में लंबे समय तक सक्रिय बीएल वर्मा का नाम भी प्रमुख दावेदारों में है। वे अनुशासित और आरएसएस पृष्ठभूमि से जुड़े नेता माने जाते हैं।
5. रामशंकर कठेरिया (दलित) – पूर्व केंद्रीय मंत्री और अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रह चुके कठेरिया का नाम उनके मुखर तेवरों और हिंदुत्व के मुद्दों पर मजबूत पकड़ के कारण आगे आया है।
6. विद्यासागर सोनकर (दलित) – एमएलसी सोनकर पूर्वी यूपी में लोकप्रिय दलित नेता हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच सक्रियता और जमीनी पकड़ के लिए जाने जाते हैं।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
उत्तर प्रदेश न सिर्फ भाजपा के लिए सबसे बड़ा राजनीतिक प्रदेश है, बल्कि केंद्र की सत्ता की राह भी अक्सर यहीं से होकर गुजरती है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को यूपी में अपेक्षित सफलता नहीं मिली, जिससे संगठनात्मक स्तर पर चिंतन शुरू हो गया। नया प्रदेश अध्यक्ष संगठन में नई ऊर्जा और रणनीतिक दिशा देने की जिम्मेदारी निभाएगा।
भूपेंद्र सिंह चौधरी की जगह लेंगे नया चेहरा
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता हैं। उन्होंने बीते दो वर्षों में संगठन को विस्तार देने में भूमिका निभाई है, लेकिन अब पार्टी नेतृत्व एक ऐसे चेहरे की तलाश में है जो न केवल जातीय समीकरण साधे, बल्कि 2027 के चुनाव में भाजपा को बहुमत के करीब पहुंचा सके।
संगठनात्मक ढांचा भी मजबूत हो रहा
भाजपा ने प्रदेश की 37 संगठनात्मक इकाइयों में से 25 से अधिक में नए प्रमुखों की नियुक्ति कर दी है। यह साफ संकेत है कि पार्टी अंदरूनी तौर पर पूरी तरह से 2027 की तैयारी में लग गई है। साथ ही, पार्टी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया में भी जुटी है।
उत्तर प्रदेश भाजपा में अध्यक्ष पद को लेकर जारी हलचल इस बात का संकेत है कि पार्टी एक बार फिर से चुनावी मोर्चे पर मजबूत पकड़ बनाने की तैयारी में है। छह नामों की सूची जातीय, क्षेत्रीय और सांगठनिक संतुलन को साधती नजर आ रही है। अब निगाहें इस पर हैं कि हाईकमान किसे अंतिम रूप से अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपता है।




