डिजाइनिंग फल टोकरी बन रही शादिंयों के घरों की शोभा
Û शादी के सीजन में फल की बिक्री बढी, फल व्यापारियों के चेहरे की बढी चमक
Û ड्रेगन फ्रूड की बाजार में विशेष मांग, पंजाबी केनू, मिनी ऑरेंज, आस्ट्रेलियन नासपाती का भी बडा क्रेज
Û सुन्दर और मनमोहक टोकरियों में सजाये जाते है फल, 10, 12, 14 इंच की टोकरियों के अलग-अलग दाम
कानपुर नगर, शादियों का सीजन चल रहा है और ऐसे में फलों की डिमांड तेजी के साथ बढी है। जहां शादियो के आयोजनों में मेहमानों के लिए फलों का स्टॉल लगाय जाता है तो वहीं फलदान कार्यक्रम में भी बडी मात्रा में शादी के पिरवार में फालों का उपयोग होता है। इस सीजन में फलों की बिक्री आसमान पर होने के कारण फल विक्रताओं के चेहरे चमक बढ जाती है। वैसे तो बाजार में सीजन के तथा अन्य भारतीय फलों की भरमार होती है, लेकिन वर्तमान में ड्रेगन फूड के साथ ही कुछ विदेशी फलों की मांग और बिक्री बढी है।
हिंदुओं की रिवाज के अनुसार शादी का सीजन चल रहा है। शादी के घरों मे खास तौर पर लडकी पक्ष के लोग फलदान ले जाते है और ऐसे में फलों का विशेष महत्व है। लोग विभिन्न प्रकार की टोकरियों में फल सजाकर लेते है। यह भी विशेष ही होता है कि कई लोग एक ही फल की एक टोकरी लेते है तो कई दो या तीन प्रकार के फल एक ही टोकरी में सजवाते है। ऐसे मंे 5 से 6 टोकरी एक ही घर में जाती है। शहर में हर सीजन में लाखों शादियां होती है और ऐसे में फल की बिक्री आसमान पर होती है।
ड्रेगन फूड सहित अन्य विदेशी फलों की मांग बढी
फूलबाग फल मंडी शहर की सबसे पुरानी मन्डियों में है और यहां फलों की काफी दुकाने है जिसमें भारतीय फलों के साथ ही आउट सीजन के फल तथा विदेशी फल भी मिलते है। फूलबाग फल मण्डी के ओम पहाडी फूड स्टोर के मालिक ओमचंद्र ने बताया कि फूलबाग मण्डी शहर की सबसे पुरानी मण्डी है और हमेशा शादी के सीजन में इस मण्डी ने फलों की पूर्ति की है। उन्होने बताया कि वर्तमान में ड्रेगन फूड की मांग तेजी के साथ बढी है, इसके साथ ही आस्ट्रेलियन नासपाती और मिनी ऑरेज लोगों को खूब भा रहे है। भारतीय फलों में पंजाबी केन, बैगलोर का खरबूजा सरदा, आके सेव, बडा लूचा, स्ट्रावरी, रायपुर का स्पेशल अमरूद तथा शरीफा भी डिमाण्ड में है।
तरह-तरह की मनमोहक टोकरियों में सजाये जाते फल
व्यापारी ओमचंद्र ने बताया कि फलों के साथ ही उन्हे सजाये जाने वली टोकरियों का भी बडा क्रेज है। लोग विभिन्न प्रकार की रंग-बिरगी टोकरी पंसद कर रहे है। कई साइज की टोकरियों में 10, 12, 14 इंच की टोकरियों की ज्यादा मांग है। शादी के एक घर से लगभग 5 से 7 व 11 टोकरियों में फलों को सजाया जाता है। फलों की खरीदी के बाद टोकरी, सजावट, पैकिंग का पैसा ग्राहकों को ही वहन करना पडता है। अलग-अलग टोकरियों के अलग-अलग दाम होते है।
चकरपुर मंडी से मगांये जाते है अधिकांश फल
व्यापारी द्वारा बताया गया कि शहर में चकरपुर मंडी फलों की मुख्य मंडी है, जहां सभी प्रकार के देशी तथा विदेशी फल थोक भाव में उपलब्ध होते है और कानपुर के सभी व्यापारी अधिकांश यहीं से फल खरीदते है, मुख्य अवसरों पर जब इस मंडी में फल उपलब्ध नही हो पाता या फलों की डिमांड जिस माह ज्यादा होती प्रतीत होती है तो पहले से ही हम व्यापारी दूसरे प्रांतों से भी फल मंगा लेते है।
पहले जैसी नही रही फलों की ब्रिकी
फल विक्रेता ओम चंद्र ने बताया कि अब फलों की ब्रिकी होती तो है लेकिन पहले जैसी नही रही। आज वैवाहिक कार्यक्रमों में विभिन्न प्रकार की मिठाईयों का भी प्रचलन तेजी से बढने लगा है और भी पैकिंग की खाध सामग्री भी प्रचलन में आ गयी है, ऐसे में फलों की ब्रिकी में कुछ असर अवश्य पडा है। बताया कि शहर में फूलबाग, गुमटी, नवाबगंज जैसी कुछ मुख्य फुटकर मण्डिया थी, लेकि न अब लगभग शहर के सभी क्षेत्रों में फलों की दुकाने है, जिसके कारण भी फलों की बिक्री प्रभावित हो गयी है। बताया कि घण्टाघर, किदवई नगर, फजलगंज, गोविन्द नगर, ग्वालटोली, परेड आदि स्थानों पर भी फलों की मण्डियां है जहां काफी संख्या में उसी क्षेत्र के रहने वाले ग्राहक पहुंचते है और वह मुख्य बाजारों तक नही आते।
संवाददाता
हरिओम की रिपोर्ट