*न्याय के लिए विधवा किसान पहुंची जिलाधिकारी के पास*
बांदा। किसानों, महिलाओं, गरीबों व मजदूरों की हितैषी सरकार का प्रचार प्रसार करने के लिए बड़े बड़े विज्ञापन, होर्डिंग्स व आयोजन में करोड़ों रुपए जनता की गाढ़ी कमाई से मिलने टैक्स का खर्च हो रहा है। उसके बावजूद प्रशासनिक तंत्र में मौजूद कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की उदासीनता व कारगुजारियों से क्षवि धूमिल कर जनकल्याणकारी योजनाओं लाभ ईमानदारी से पात्र लाभार्थी तक नहीं पहुंच पाता है। जिससे गरीब बेसहारा महिला न्याय के लिए केवल सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगाने को मजबूर रहता है।ऐसा ही एक मामला जनपद के मटौध थाना अंतर्गत निवासी विधवा किसान अर्चना पत्नी सतेन्द्र के साथ हुआ। महिला ने सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर डीएम जे रिभा से मुलाकात कर प्रार्थनापत्र देकर आपबीती बताते हुए कहा कि महिला पिछले कई माह से अधिकारियों की चौखट पर अपने साथ हुई ज्यादती और आर्थिक क्षति से निजात दिलाने व दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने की गुहार लगा रही है। फलस्वरूप अभी तक पीड़िता बेवा किसान के शिकायत कोई भी कार्यवाही नहीं हुई उसको रद्दी की टोकरी में डाल दिया। महिला ने अपने खेत को सिंचाई करने के लिए कर्ज लेकर नलकूप बोर कराया। मामला बीते 25 नवंबर को बिजली आपूर्ति के लिए पड़ोसी किसान किशोरी, प्रमोद पुत्रगण अल्हू अनुरागी की मेड़ पर पांच खंम्भै लगायें गये थे। लेकिन क्षेत्रीय लेखपाल गौरव जो पूर्व में पीड़िता किसान से दुर्भावना रखता था। उसने किशोरी व प्रमोद पुत्रगण अल्हू अनुरागी को भ्रमित व उकसाते हुए बिजली आपूर्ति के सभी पोल को 26 नवंबर को तुड़वा दिया। जिससे विधवा अर्चना को दो लाख रुपए की आर्थिक क्षति के साथ खेतों में खड़ी फसल की समय से सिंचाई नहीं कर पाईं । बेसहारा महिला किसान लगातार तीन महीने से सम्बंधित क्षेत्रीय राजस्व व पुलिस अधिकारियों से न्याय की आस में चक्कर काट रही है। लेकिन क्षेत्रीय अधिकारियों ने किसी भी प्रकार आर्थिक क्षति का मुआवजा नहीं दिलाने में रूचि दिखाई व क्षेत्रीय लेखपाल गौरव, प्रमोद किशोरी पुत्रगण अल्हू अनुरागी पर ठोस कार्रवाई का प्रयास किया जिसके कारण पीड़िता को मंडलायुक्त के दरवाजे पर दस्तक देकर न्याय की गुहार लगानी पड़ी है।
बाँदा- ब्यूरो
अल्तमश हुसैन




