तहि प्रकाश हमारा भयो, पटना शहर विखे भव लयो :
सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं,
तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं…!
हरमिंदर सिंह की रिपोर्ट
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कानपुर, सोमवार। खालसा पंथ के संस्थापक दशमेष पिता साहिब श्री गुरू गोबिंद सिंह जी महाराज का 358वाँ पावन प्रकाश उत्सव आज पूर्ण गुरू मर्यादा, उत्साह, श्रद्धा एवं भक्तिभाव से मनाया गया, भीषण ठंड की परवाह किए बिना भारी संख्या में स्त्री पुरुष और बच्चे प्रातः काल से ही कतार बद्ध हो श्रद्धालू रूप में श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी के समक्ष माथा टेक कर सरबंसदानी गुरू के प्रति अपनी श्रद्धा समर्पित कर रहे थे। श्री गुरू सिंह सभा कानपुर के तत्वाधान में एवं सभी सिख संगठनों , गुरुद्वारा कमेटियों व समूह साध संगत के सहयोग से श्री गुरू गोबिंद सिंह जी का पावन प्रकाश उत्सव मनाने के लिए सभी धर्मों एवं वर्गों के लोगों ने मोतीझील के विशाल पंडाल में भव्य आसन पर विराजमान श्री गुरू ग्रन्थ साहिब के समक्ष शीश निवाने के साथ साथ गुरुवाणी कीर्तन एवं गुरुवाणी विचार से निहाल हो गुरू के अतुट लंगर ग्रहण किए ।
दशमेष पिता के गुरू पर्व के मुख्य दीवान का आरम्भ प्रातः 03.30 बजे साध संगत सुखमनी साहिब चौक द्वारा श्री सुखमनी साहिब के पाठ से हुई, तत्पश्चात “आनन्द साहिब” एवं अमृत वेले की अरदास सम्पन्न हुई, गुरू नानक संगीत जत्था ने “नितनेम” किया तो “बीबी इंदर कौर”, गुरू गोबिंद सिंह स्टडी सर्किल, “भाई सुरिंदर सिंह भाई मोहन सिंह”, प्रेमी जत्था गुरुद्वारा कीर्तनगढ़, “भाई कुलदीप सिंह राजा”, “भाई भूपिंदर सिंह गुरदासपुरी” हजूरी रागी जत्था गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर चौक के जत्थों ने “आसा दी वार” का गायन किया।
भाई सरबजीत सिंह” जी हजूरी रागी “तख्त श्री पटना साहिब जी ने “निव निव पाऊं लगूं, गुरु अपने, गुरु अपने”, ” तहि प्रकाश हमारा भयो, पटना साहिब विखे भव लयो”, “सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं…!” का अपनी मोहक एवं जोशीले अंदाज में गायन करते हुए संगत को भी कीर्तन से रसना पवित्र कराते हुए “वाहेगुरु, वाहेगुरु” का जाप कराया। गुरमत विचार करते हुए “श्री दरबार साहिब अमृतसर के साबिका ग्रंथी ज्ञानी मान सिंह जी” ने गुरू गोबिंद सिंह जी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि धर्म के बिना जीवन यात्रा अधूरी ही नहीं बल्कि असंभव है, सच का मार्ग धर्म से ही प्राप्त होता है क्योंकि धर्म मनुष्य का मार्ग दर्शन करता है, गुरु जी ने मनुष्य को सामाजिक कुरीतियों से ऊपर उठाने के लिए सर्व साझे धर्म की स्थापना की। बाबर के राज का जुल्म लेकर भारत भारत की धरती पर आए लोगों ने कभी बाबर की जेल में कैद किया तो कभी जहांगीर ने गर्म तवे पर जलाने का प्रयास किया और कभी चांदनी चौक पर दो टुकड़े कर शहीद किया हो, धर्म को बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए गुरु नानक ने जिस धर्म की नींव रखी उसके वह स्वयं संस्थापक एवं पहले प्रचारक थे। बटाला की दीवार से शुरू हुई यात्रा सरहिंद की दीवार तक चली। “श्री दरबार साहिब अमृतसर के हजूरी रागी भाई कमलदीप सिंह” जी ने “नसिरों मंसूर गुरू गोबिंद सिंह, बादशाह दरवेश गुरू गोबिंद सिंह। शाहे शहंशाह गुरू गोबिंद सिंह , हक हक अंदेश गुरू गोबिंद सिंह।। का समधुर गायन कर संगत को निहाल किया।
इस अवसर पर की पुलिस आयुक्त श्री अखिल कुमार, डी सी पी सेंट्रल श्री दिनेश दीक्षित, ABC चैनल की प्रमुख आंचल दुबे, समाज सेवी अनिल शर्मा सहित 50 लोगों को श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष सरदार हरविंदर सिंह लॉर्ड ने स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया। मुख्य पंडाल के बाहर स्त्री पुरुषों के लिए बनाए गए अलग अलग लंगर पंडालों में लाखों लोगों ने “एक पंगत एक संगत” को चरितार्थ करते हुए सभी धर्मों एवं वर्गों के श्रद्धालुओं ने बिना किसी भेदभाव के लंगर छका, लंगर में श्रद्धालुओं को दाला (दाल), भाजा (सब्जी), प्रसादा (रोटी), देसी घी से बना कढ़ाह प्रशाद (हलवा), सलाद व बोतल बंद पानी वितरित किया गया।
गुरू पर्व आयोजन में यंग मैन सिख एसो. ने जोड़ों (जूते चप्पल), दशमेश शस्त्र दल ने लंगर के प्रवेश द्वारों की, बीर खालसा दल ने दो पहिया वाहनों, गुर सेवक जत्था, कबाड़ी बाजार एसो. गुरु नानक मोटर मार्केट आदि ने लंगर वितरण, श्री हेमकुंड सेवा सोसाइटी, दीप सेवा दल, यूथ खालसा, रामगढ़िया सभा ने पेयजल व्यवस्था की जिम्मेदारियों का निर्वाह किया। इस अवसर पर पंथ दर्दी विचार मंच ने नेत्र शिविर, गुरू नानक मोदीखाना, श्याम बिहारी तिवारी चैरिटेबल ट्रस्ट व गंगा सेवा समिति के रक्तदान शिविरों में लगभग 100 यूनिट से ज्यादा रक्तदाताओं ने रक्तदान किया, यू पी सिख एसोसिएशन, दशमेश शस्त्र दल ने सहायता कैंप, मिरि पिरी बाल सखा एवं गुरुनानक फुलवारी ने गुरमत कंपटीशन कैंप, लगा कर संगत सेवा कर रहे थे।
इस अवसर पर स. सुखविंदर सिंह भल्ला लाडी, ज्ञानी मदन सिंह, मोहन सिंह झास, सुरजीत सिंह लॉर्ड, हरमिंदर सिंह लोंगोवाल, करमजीत सिंह, मीतू सागरी, दया सिंह गांधी, जसबीर सिंह सलूजा, राजेंद्र सिंह नीटा, अमनजोत सिंह, रमन भल्ला, गुरजिंदर सिंह, जयदीप सिंह राजा, देवेंद्रपाल सिंह अरोरा, राजू खंडूजा, सतनाम सिंह सूरी, आदि ने गुरू पर्व समारोह की सफलता के लिए अपने दायित्वों का निर्वाह किया।
इसी प्रकार रात के दीवान में सभी रागी जत्थों एवं प्रचारकों ने गुरुवाणी विचार के पश्चात रात्रि दीवान में ही हुए कवि दरबार में “पंथक कवि भाई कुलदीप सिंह” जी अमृतसर वाले व “भाई दीप सिंह जी एडवोकेट लुधियानवी” जी ने दशमेष पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने कवि सम्मेलन में गुरू गोबिंद सिंह जी के वीर रस के इतिहास को सुना कर संगत को निहाल किया।
आरती, आगमन के शब्दों एवं मध्यरात्रि अरदास के साथ तीन दिवसीय गुरु पर्व का समापन हो गया। सिख बहुल्य क्षेत्रों में गुरू पर्व के पावन अवसर पर व्यापक दीपमाला कर सरबंसदानी गुरू को नमन किया गया। गुरू पर्व समारोह की समाप्ति अरदास से हुई अरदास में सरबत के भले के प्रार्थना के साथ गुरुपर्व के सफलता पूर्वक सम्पन्न होने का शुक्राना अदा किया गया।