मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में ₹2.5 करोड़ का ‘रसगुल्ला घोटाला’: 15,000 की जगह 5,000 लोगों का खाना, जाँच के आदेश
डिस्ट्रिक हेड । राहुल द्विवेदी
कानपुर (उत्तर प्रदेश): मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत हाल ही में संपन्न हुए एक भव्य कार्यक्रम में 551 जोड़ों का विवाह तो धूमधाम से हुआ, लेकिन भोजन व्यवस्था के ठेके में हुई कथित धांधली ने खुशी के इस माहौल में खटास घोल दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, ढाई करोड़ रुपये के इस टेंडर में ‘सरकारी रसगुल्ला’ लूटने और मेहमानों को भूखा लौटाने का गंभीर आरोप लगा है, जिसके बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है और अपर जिलाधिकारी (ADM) सिटी ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
टेंडर लेने वाली फर्म पर गंभीर आरोप
बताया जा रहा है कि भोजन व्यवस्था का ठेका ई-टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से नेशनल कोऑपरेटिव कंस्ट्रक्शन फेडरेशन लिमिटेड नाम की फर्म को मिला था, जिसका संचालन प्रखर सिंह कर रहे थे। टेंडर की शर्तों के अनुसार, 551 जोड़ों के विवाह समारोह में लगभग 15,000 मेहमानों के भोजन की व्यवस्था की जानी थी। हालांकि, मौके पर मौजूद सैकड़ों मेहमानों, जोड़े के रिश्तेदारों, और समाजसेवियों का आरोप है कि फर्म ने ठेके में सेंध लगाते हुए भोजन की मात्रा में भारी कटौती की।
15 हजार के टेंडर पर बना सिर्फ 5 हजार का खाना
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, जहां 15,000 लोगों के लिए भोजन बनना था, वहीं कथित तौर पर यह केवल 5,000 लोगों के लिए ही बनाया गया। इस भारी अंतर के कारण, भोजन वितरण के स्टॉल्स पर भयानक छीना-झपटी और प्लेट-प्लेट की मारामारी मच गई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि अनेक स्टॉल्स पर भोजन जल्द ही खत्म हो गया। सबसे गंभीर आरोप यह है कि ‘मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह’ जैसे गरिमापूर्ण कार्यक्रम में, मेहमानों को मिठाई के नाम पर रसगुल्ला तक नसीब नहीं हुआ। यहां तक कि कई जगहों पर 10 किलो लड्डू की जगह केवल 3 किलो लड्डू ही वितरित किए गए।
रिपोर्ट्स के अनुसार, भोजन व्यवस्था पूरी तरह से ढीली ढाली थी और सैकड़ों की संख्या में मेहमान बिना खाए ही समारोह से वापस लौटने को मजबूर हुए। खुशी के इस अवसर पर मेहमानों के पेट खाली रह गए, जबकि कथित तौर पर फर्म के लोग इस धांधली के बाद भी “सब सेट” होने का दावा करते रहे।
ADM सिटी ने शुरू की जांच, टीम गठित
सामूहिक विवाह योजना में ‘सामूहिक घोटाला’ होने की इस खबर के सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है। ADM सिटी ने इस पूरे मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं और एक जांच टीम का गठन किया गया है। यह टीम भोजन की मात्रा, गुणवत्ता, वितरण व्यवस्था और टेंडर की शर्तों के अनुपालन की गहन जांच करेगी।
यह घटना न केवल फर्म की लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता की कमी पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। जिला प्रशासन की जांच अब यह तय करेगी कि यह मामला सिर्फ अव्यवस्था का था या वास्तव में ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से ₹2.5 करोड़ के टेंडर में कोई बड़ा घोटाला किया गया है।
शहर में अब यह चर्चा गरम है कि क्या एडीएम सिटी की जांच से शादी की मिठास (न्याय और उचित व्यवस्था) लौट पाएगी, या इस सामूहिक विवाह पर घोटाले की कड़वाहट हावी रहेगी। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है।




