दिन-पर-दिन कमज़ोर होती भाजपा में टकराव और भटकाव का दौर शुरू हो गया है। भाजपा खेमों में बंट गयी है।
– भाजपा के एक नेता महोदय अपने ही शीर्ष नेतृत्व के दिए नारे को नकार रहे हैं।
– कोई मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि बैकफ़ुट पर जाने की ज़रूरत नहीं है, जो उछल-कूद कर रहे हैं वो बैठा दिये जाएंगे।
– कोई कह रहा है संगठन सरकार से बढ़ा है।
– तो कोई सहयोगी दल हार का कारण दिल्ली-लखनऊ के नेतृत्व के ऊपर डाल रहा है।
– कोई वीडियो बनाकर बयान दे रहा है, कोई चिट्ठी लिख रहा है।
भाजपा में एक-दूसरे को कमतर दिखाने के लिए कठपुतली का खेल खेला जा रहा है। सबकी डोरी अलग-अलग हाथों में है। भाजपा में पर्दे के पीछे की लड़ाई सरेआम हो गयी है। इंजन ही नहीं अब तो डिब्बे भी आपस में टकरा रहे हैं।
शादाब अन्सारी