*कानपुर कमिश्नरेट पुलिस v/s पनकी पुलिस*
इसी बुधवार रात करीब 9 से 10 बजे की बात है..पनकी के रतनपुर स्थित औघड़ आश्रम के पास से 14 वर्षीय आर्यन मिश्रा को कुछ अज्ञात लोगों ने वैन के अन्दर खींच लिया… और वैन का दरवाजा बंद कर उसे मारते हुए आगे बढ़ते रहे… और फिर आर्यन मिश्रा को मंदिर चौकी के इर्द-गिर्द ही फेंक कर फरार हो गए… डरा सहमा 14 वर्षीय आर्यन मिश्रा नजदीकी चौकी यानी चौकी पनकी मंदिर पहुंचा…लेकिन चौकी में ताला बंद देख आर्यन मिश्रा और डर गया…कि अगर वह वैन वाले लोग दोबारा आ गए… तो मेरा क्या होगा?आर्यन मिश्रा ने किसी तरह से हाथ पैर जोड़कर एक राहगीर से सहायता ली और घरवालों को अपनी यथा स्थिति के बारे में अवगत कराया…घर वाले आर्यन मिश्रा कि बात सुनकर… जो जैसा था उसी हालत में मंदिर चौकी के पास पहुंच गया!लेकिन अभी भी पनकी मंदिर चौकी में ताला बंद था…यानी चौकी के बाहर कोई कुछ भी करें…पुलिस को ‘नो टेंशन’
जब नाबालिक आर्यन मिश्रा के घर वालों ने थाना प्रभारी पनकी को सरकारी नंबर पर फोन किया…तो फोन उठा नहीं…इस तरह घरवालों ने थाना प्रभारी को एक या दो नहीं बल्कि तीन कॉल की…लेकिन मजाल जो फोन उठ जाए!
अब ऐसे में आप बताइए और विचार कीजिए..और कानपुर के वह दिग्गज अधिकारी भी बताएं…जो यह कहते हैं की पुलिस 24 घंटे लोगों की सुरक्षा में तत्पर है…आप ही बताइए जिस मां के बच्चे का अपहरण किया गया हो…वह माँ शिकायत करने के लिए कहां जाए?जब चौकी में ताला बंद हो…और थाना प्रभारी का फोन उठे ना…तो बताइए पीड़ित,प्रार्थी और प्रताड़ित व्यक्ति कहाँ जाए… और वह माँ कहाँ जाए जिसका बच्चा अभी अभी मौत के मुँह से निकलकर बाहर आया हो… ऐसा इसलिए क्योंकि जिस तरह इस घटना को अंजाम दिया गया…वह किसी भी अनहोनी का संकेत दे सकती थी!
खैर इन सब के बाद पीड़ित ने अपनी स्थानीय चौकी रतनपुर चौकी इंचार्ज को फोन किया…सबसे पहले तो वह फोन मिला नहीं ,लेकिन जैसे तैसे करके चौकी प्रभारी रतनपुर से बात हो पाई…चौकी प्रभारी रतनपुर ने उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया..लेकिन चौकी इंचार्ज ने भी इतनी बड़ी घटना हो जाने के बाद भी तत्काल पीड़ित परिजनों से मिलकर जांच पड़ताल करनी शुरू नहीं की…मामला सुबह के लिए टाल दिया गया…खैर कोई बात नहीं आराम में खलल कैसे डाला जाए?और जब वर्दी तन पर हो सितारे कंधे पर…और फिर भी चैन की नींद ना मिले…यह तो गलत बात है!अभी आप आगे कुछ प्रश्न पढ़िए…और उनके जवाब खुद तलाशिएगा…!
1-थाना प्रभारी पनकी का सरकारी नंबर क्यों नहीं उठाता?जबकि सरकारी नंबर का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि कोई भी पीड़ित व्यक्ति कभी भी सरकारी नंबर पर कॉल करके सहायता प्राप्त कर सकता है!हालांकि ऐसा नहीं है की सभी सरकारी नंबर के साथ ऐसा होता हो…आमतौर पर कानपुर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को आप किसी भी समय कॉल करके सहायता प्राप्त कर सकते हैं…जिसमें आप आईपीएस आलोक सिंह,आईपीएस आनंद प्रकाश तिवारी के नामों को गिन सकते हैं…लेकिन इस श्रेणी में थाना प्रभारी पनकी बिल्कुल शामिल नहीं है…ऐसा इसलिए क्योंकि थाना प्रभारी पनकी को इससे भी पहले कई बार कई अन्य पीड़ित के द्वारा सरकारी नंबर पर कॉल किया गया है…लेकिन साहब के आराम में खलल बिल्कुल नहीं आया यानी फोन नहीं उठा!
2- आखिरकार मंदिर चौकी में ताला क्यों बंद था?अगर कोई बड़ी अनहोनी हो जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता?आखिर 24 घंटे सेवा देने वाली पुलिस अपने दरवाजे में ताला क्यों लगाए हैं?क्या वह चाहती है कि उसके पास में कोई प्रार्थी ना आए…संभव था अगर चौकी में ताला बंध न होता तो आरोपी अति शीघ्र पकड़े जाते हैं…लेकिन खैर छोड़िए पनकी पुलिस है!
3- रतनपुर चौकी इंचार्ज को जब पता चल गया कि उसके क्षेत्र में 14 वर्षीय बच्चे का अपहरण करने का प्रयास किया गया है…इसके बाद भी आखिरकार चौकी इंचार्ज मौके पर क्यों नहीं पहुंचे?क्या वह चाहते थे कि आरोपी भाग जाएं!
ब्यूरो कानपुर
असरफ जमाल की रिपोर्ट