ठंड से बचने के लिए चिताओं की सुलगती लकडियांे के बीच सो गया बुजुर्ग।
Û रैन बसेरा की व्यवस्थाओं पर उठ खडा हुआ सवाल, शहर में नही हो सकी अभी तक अलाव की व्यवस्था
कानपुर नगर, उम्र का ऐसा पडाव जब हांथ-पैर काम करना लगभग बंद कर चुके है, ऊपर से बेसहारा जिंदगी। ऐसी ठण्ड में जब लोगों को रजाई में ठण्ड सता रही है, ऐसे में एक बुजुर्ग स्वयं को ठण्ड से बचाने के लिए श्मशान में चिताओं की सुलगती लकडियांे के बीच सो गया। यह ऐसा नजारा था, जब मुर्दा चिताओं के बीच जिंदा आदमी जीवन अपने जीवन को बचाने का प्रयास करता दिखाई दे रहा था। खैर स्थानीय लोगो ने इसका वीडियों बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया।
हम किस आधुकिता की बात कर रहे है, समाज में आज भी लोगों के पास छत नही है, कोई अपना नही है, बेसहारा, बेबस अपनी जिंदगी काटने वालो के प्रति नगर प्रशासन भी सजग नही दिखाई देता। एक ओर सरकार अलाव और रैन बसेरा की व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए हर वर्ष विशेष प्रावधान करती है लेकिन नीचे के सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण आम जनमानस तक लाभ नही पहुंच पाता। एक मन विचलित मरने वाला मामला सामने आया। पार्वती बांगला रोड से लगे गंगा किनारे स्थित भैंरव घाट पर शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है और यहीं पर चिताओं की सुलगती लकडियों के बीच स्वयं को ठण्ड से बचाने के लिए एक बुजुर्ग सो गया। स्थानीय लोगों ने जब यह विडीयों सोशल मीडिया पर डाला तो तेजी से वायर हुआ।
मंदिरों और घाटों पर रहते है सैकडों बेसहारा बुजुर्ग
यह कोई एक बुजुर्ग की कहानी नही है। कानपुर के घाट मंदिरों के घाट है और लगभग यहां सभी घाटों पर बेसाहारा बुजुर्ग बडी संख्या में रहते है जो यहां आने वाले श्रृद्धालाओं की कृपा के सहारो अपनी जिंदगी गुजार रहे है। भैरवघाट, बाबा आनन्देश्वर घाट, बिठूर के घाट, सरसैया घाट, जाजमऊ खेरेपति घाट आदि स्थानो पर एसे बुजुर्ग देखे जा सकते है।
संवाददाता
हरिओम की रिपोर्ट