*एक महिला सिपाही,नौ से संबंध..
डिस्ट्रिक हेड । राहुल द्विवेदी
*घटना का विस्तृत सारांश*
जालौन की महिला सिपाही मीनाक्षी शर्मा से जुड़े चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिकॉर्ड के अनुसार, उसने इंस्पेक्टर राय को 3 दिनों में 109 बार कॉल किया था, जिनमें अधिकांश वीडियो कॉल थे। पूछताछ में उसने यह स्वीकार किया कि उसके करीब 9 थाना प्रभारियों (दरोगा और इंस्पेक्टर स्तर के) और एक पूर्व राजपत्रित अधिकारी से संबंध रहे हैं।
यह मामला केवल अनैतिक संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार और कानूनी दुरुपयोग की ओर इशारा करता है। मीनाक्षी को पूर्व में कई पुलिसकर्मियों द्वारा सोना और मोबाइल जैसे महंगे उपहार दिए जा चुके हैं, जो सरकारी पद के दुरुपयोग और रिश्वतखोरी का संकेत है।
इससे भी गंभीर बात यह है कि मीनाक्षी ने कथित तौर पर अपने पद का इस्तेमाल करते हुए बरेली में एक सिपाही को बलात्कार के झूठे केस में जेल भिजवाया। पिछले पाँच वर्षों में, उसने ट्रेनिंग से लेकर जालौन तक की तैनाती के दौरान लगभग 11 सिम कार्ड बदले हैं, जो संदिग्ध और आपराधिक आचरण को छिपाने के प्रयास की ओर इशारा करता है।
⚖️ पुलिस बल पर गंभीर सवाल
यह मामला यूपी पुलिस प्रशासन के लिए एक वेक-अप कॉल है। लेख में उठाया गया सवाल बहुत प्रासंगिक है कि “अगर खुद ही हनी ट्रैप का शिकार होंगे, तो पब्लिक को इन विष कन्याओं से कौन बचाएगा?”
संलिप्त वरिष्ठ अधिकारी: एक साथ इतने वरिष्ठ अधिकारियों (थाना प्रभारियों) का इस तरह के अनैतिक कृत्यों में शामिल होना प्रणालीगत भ्रष्टाचार को दर्शाता है।
कानून का दुरुपयोग: झूठे बलात्कार के आरोपों का इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग और व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए करना, कानून की पवित्रता को नष्ट करता है।
छवि और विश्वसनीयता: यह घटना बल की छवि को धूमिल करती है और जनता के विश्वास को गंभीर रूप से ठेस पहुँचाती है।
प्रशासन को मीनाक्षी शर्मा और सभी संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से सख्त अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए ताकि पुलिस बल में नैतिकता और अनुशासन को बहाल किया जा सके।




