संपदा विभीषनाहिं सकुचि दीन्ह रघुनाथ…..

साकेत धाम में वृन्दावन के स्वामी विष्णु कुमार दत्तात्रेय के निर्देशन और उमाशंकर व्यास जी के सरस संचालन में लीलाओं का सजीव मंचन हुआ। रावण अपने भाई विभीषण को लात मारकर अपमानित करता है तो विभीषण कुपित होकर कहता है कि मैं अब प्रभु राम की शरण जा रहा मुझे दोष न देना। राम जी विभीषण को गले लगाकर लंका का राजा घोषित करते हैं। रामादल और लंकेश की सेना के बीच भीषण युद्ध चलता है। कुंभकरण को नींद से जगाया जाता है और उसका वध श्रीराम के हाथों होता है। लक्ष्मण और मेघनाद के बीच कांटे की टक्कर होती है और मेघनाद शक्ति बाण से लक्ष्मण को मरणासन्न कर देता है। लक्ष्मण को मूर्छित देख राम विलाप करते हैं। इस समय देखा लखन का हाल तो श्रीराम रो पड़े भजन सुन सभी की आंखें डबडबा उठीं। हनुमान जी सुखेन वैध के परामर्श पर संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को फिर से चैतन्य करते हैं। आरती में अध्यक्ष संजय राठी, महामंत्री अरविंद कुमार श्रीवास्तव, चंद्र प्रकाश अवस्थी, प्रेम कुमार सिंह, कृष्णप्रिय मोती श्याम, डॉ राजीव सिंह, श्री उमनिवास बाजपेई अध्यक्ष राज्यंकर्मचारी संयुक्त परिषद, जगदीश महेश्वरी, सुभाष गुप्ता, गुप्ता, डॉ प्रभात सिन्हा, डॉ मनीष सेंगर, कौशल किशोर यादव, सुनील मिश्रा, इंदु प्रकाश अवस्थी, पूर्व पालिकाध्यक्ष राम चन्द्र गुप्ता, मुन्ना सिंह अवधूत, पी के मिश्रा, प्रेम मिश्रा, अनूप शुक्ला, अजय श्रीवास्तव, नितेश श्रीवास्तव, राहुल कश्यप आदि ने भाग लिया। 9 अक्टूबर को होने वाले विराट डाँडिया रास की जानकारी देते हुए डॉ मनीष सेंगर ने बताया कि कमेटी के अधिकृत सदस्यों से इच्छुक जन पास अवश्य प्राप्त कर लें।
संपदा विभीषनाहिं सकुचि दीन्ह रघुनाथ…..
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