450 वर्ष पुरानी परंपरा का अद्भुत महोत्सव : आज निकलेगी भगवान शालिग्राम, दाहिनावर्ती शंख व एकमुखी रुद्राक्ष की शोभायात्रा
ब्यूरो चीफ जालौन – शैलेन्द्र सिंह तोमर
रामपुरा (जालौन)।
जगम्मनपुर किला परिसर से निकलने वाली भगवान शालिग्राम, दाहिनावर्ती शंख और एकमुखी रुद्राक्ष की ऐतिहासिक शोभायात्रा इस वर्ष 6 अक्टूबर, सोमवार की शाम 6:30 बजे बड़े ही श्रद्धा और उल्लास के साथ निकाली जाएगी।
जगम्मनपुर किला के राजवंशज राजा सुकृत शाह ने बताया कि यह भव्य परंपरा लगभग 450 वर्षों से निरंतर चल रही है। उन्होंने बताया कि किला निर्माण के समय रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी स्वयं पंचनद से पधारे थे। तत्कालीन राजा उदोतशाह के आग्रह पर उन्होंने किले की देहरी रोपित की थी और भगवान शालिग्राम, दाहिनावर्ती शंख एवं एकमुखी रुद्राक्ष सौंपते हुए प्रतिवर्ष आश्विन शुक्ल चतुर्दशी को शोभायात्रा निकालने का संकल्प दिया था।
राजा सुकृत शाह ने बताया कि पहले यह आयोजन राजसी वैभव से परिपूर्ण होता था, जिसमें तोपों की सलामी, हाथियों-घोड़ों की सवारी और राज परिवार के सदस्यों द्वारा स्वयं भगवान के सिंहासन को उठाकर चलने की परंपरा थी। हजारों की भीड़ इस अद्भुत दृश्य की साक्षी बनती थी।
अब आधुनिक युग में यह परंपरा सीमित रूप में सही, परंतु उसी श्रद्धा और गौरव के साथ निभाई जा रही है। इस वर्ष भी शोभायात्रा किला मंदिर से आरंभ होकर नगर भ्रमण करते हुए लक्ष्मी नारायण के रहस चबूतरे पर समाप्त होगी, जहां श्रद्धालु भगवान के दर्शन करेंगे।
कार्यक्रम में बाहर से आए भजन कलाकारों द्वारा भव्य भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा।
राजा सुकृत शाह ने समस्त क्षेत्रवासियों से इस गौरवशाली परंपरा को बनाए रखने और भगवान की शोभायात्रा में शामिल होने का आह्वान किया है।




