कालपी जंगल में पानी के स्रोत नहीं, प्यासे भटक रहे जंगली पशु, वन विभाग बना तमाशबीन
डिस्ट्रिक्ट हेड: शैलेन्द्र सिंह तोमर
कालपी (उत्तर प्रदेश):
गर्मियों की तपिश के साथ कालपी के जंगलों में पानी की समस्या अब विकराल रूप ले चुकी है। हैरानी की बात यह है कि पूरे जंगल क्षेत्र में जंगली जानवरों के लिए कोई प्राकृतिक या कृत्रिम जलस्रोत मौजूद ही नहीं है। ऐसे में हिरण, नीलगाय, सियार, जंगली सूअर जैसे जीव बुरी तरह प्यास से परेशान होकर जंगल से बाहर आबादी वाले क्षेत्रों की ओर आने को मजबूर हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग ने आज तक जंगल में पानी की स्थायी व्यवस्था नहीं की है। न तो जलकुंड बने हैं और न ही टैंकर से किसी तरह की आपूर्ति की जा रही है। कई जानवरों को पानी की तलाश में मरते हुए देखा गया है, लेकिन फिर भी जिम्मेदार विभाग खामोश है।
जंगल में एक और बड़ी समस्या “विलायती बबूल” (Prosopis juliflora) की बढ़ती संख्या है, जो न सिर्फ भूमि की उर्वरता को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि अन्य देशी छायादार वृक्षों के विकास में भी बाधा बन रही है। विशेषज्ञों और पर्यावरण प्रेमियों की मांग है कि इस आक्रामक प्रजाति को हटाकर जंगल में पीपल, बरगद, नीम जैसे छायादार व जलधारी वृक्ष लगाए जाएं ताकि जानवरों को न सिर्फ पानी बल्कि छाया भी मिल सके।
जानवरों के गांवों में आने से फसलों को नुकसान हो रहा है और लोगों में भय का माहौल है। ग्रामीणों ने वन विभाग से मांग की है कि जंगल में तत्काल जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए — चाहे अस्थायी टैंकर हों या स्थायी सोलर




