*सिंचाई भवन मुख्यालय लखनऊ में आयोजित हुई आदि गुरु शंकराचार्य की जन्म जयंती*
जगद्गुरु आदि शंकराचार्य के प्राकट्य दिवस के अवसर पर सिंचाई भवन मुख्यालय के विभिन्न कर्मचारी ने मध्य अवकाश के अवसर पर एकत्र होकर सनातन धर्म की ध्वजा पूरी दुनिया में फैलने वाले आदि गुरु शंकराचार्य को पुष्पांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर इंजीनियर शैलेंद्र दुबे तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर हरि शरण मिश्रा उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए शैलेंद्र दुबे ने बताया कि बारह शताब्दियों के अनंतर आज भी शंकराचार्य का कार्य समाप्त नहीं हुआ है।आज मनुष्य के पास ऐश्यर्व के असीम साधन हैं किंतु दुःख संताप की कोई सीमा नहीं है।काम,क्रोध,लोभ,दंभ,विद्वेष, आदि आसुरी भाव मनुष्य को निरन्तर जर्जर कर रहे हैं।परित्राण कहां है ? परित्राण केवल मनुष्य की आत्मा के आविष्कार में है।सभी मनुष्यों के अन्दर एक अविभाज्य चैतन्यसत्ता निरन्तर प्रकाशमान रहती है।इस अप्रत्याखेय के ज्ञान के स्वीकार में,इसकी उपलब्धि में और इसके प्रचार में आदि शंकराचार्य का बत्तीस वर्ष का अलौकिक जीवन इस अबाधित सत्य का मूर्त प्रकाश है।
आदि शंकराचार्य के जीवन का आज हमें नए रूप में स्मरण करना होगा और जीवन के अनेक द्वंद्वों को आत्मविज्ञान में समन्वित करने की प्रेरणा तथा उसका उपाय आचार्य शंकर के जीवन और उनकी वाणी से ग्रहण करना होगा। भारतीय दर्शन को अद्वैत वेदांत जैसा आध्यात्मिक और नैतिक सिद्धांत देने वाले आदि गुरु शंकराचार्य ने पूरी दुनिया को भारतीय दर्शन का जहां एक तरफ लोहा मनवाया वही अद्वैत वेदांत की अभेद दृष्टि ,अनेकता में एकता की शिक्षा आज की भारतीय संस्कृति को प्रदान की और विषम परिस्थितियों में एकता के सूत्र में बंधे रहने का मंत्र दिया, सनातन धर्म की उपयोगिता हम सबको सिखाई। आज की हमारी समस्याओं का समाधान अद्वैत प्रदत्त आध्यात्मिक एवं नैतिक ढांचे में ही संभव है अतः हम सभी को वैदिक सिद्धांतों पर आधारित इस संदेश को समझना होगा और सनातन धर्म की पताका को पूरे विश्व में फैलाने वाले सिद्धांतों को आत्मसार करना होगा।
वहीं विशिष्ट अतिथि के तौर पर बोलते हुए सचिवालय संघ से हरि शरण मिश्र ने बताया कि आज जहां पूरे विश्व ध्रुवीकरण हो रहा है वही जरूरी है कि हम सनातनी भीएकजुट होकर आदि शंकराचार्य के सिद्धांतों की ओर वापस लौटे और देश और दुनिया को दर्शन की दिशा दिखाने वाले महान दार्शनिक के सिद्धांतों को भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने हेतु जीवंत रूप में चरितार्थ करें। बच्चों के पाठ्यक्रम में आदि गुरु शंकराचार्य की जीवनी अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाने की भी संस्तुति की।
कार्यक्रम में प्रशांत त्रिपाठी, सुनील मिश्रा, रीना त्रिपाठी अमरजीत मिश्रा, संतोष मिश्रा राजा बाबू शुक्ला ,एसएन पांडे, अवधेश कुमार तिवारी ,राजेश कुमार मिश्रा ,ललित मोहन त्रिपाठी, अंजनी कुमार मिश्रा, प्रदीप शुक्ला, मानवेंद्र चतुर्वेदी, सचिन मिश्रा ,अभिषेक मिश्रा, सौरभ दुबे, अनुराग शुक्ला, पीयूष तिवारी, विजय पाठक, संतोष कुमार शुक्ला ,शिव प्रकाश दीक्षित, राम सुफल, हर्षित उपाध्यक्ष ,पंकज द्विवेदी, डॉक्टर आभा शुक्ला ,अमरेश कुमार शुक्ला ,धर्मेश तिवारी, हरी शरण मिश्रा, देवी शंकर शुक्ला, मानस मुकुल त्रिपाठी, सहित असंख्य कर्मचारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कीतथा सनातन परंपरा के ध्वजवाहक शंकराचार्य जी के जीवन से संबंधित व अद्वैत्य वेदांत से संबंधित अपनी शंकाओं के प्रश्न पूछे।
सिंचाई भवन मुख्यालय लखनऊ में आयोजित हुई आदि गुरु शंकराचार्य की जन्म जयंती
Leave a comment
Leave a comment




