*अपराध और भ्रष्टाचार पर प्रहार जिस प्रकार से आज के समय में कानपुर में देखा जा रहा है वह सराहनीय है*
*कानपुर शहर को अपराध और अपराधियों से न्याय दिलाने का कार्य आज के समय में कानपुर कमिश्नर और जिलाधिकारी के रूप में किया जा रहा हैं, और ग़रीब पीड़ितों को न्याय मिल भी रहा है, बल्कि दोषियों पर सख़्त कार्यवाही भी की जा रही है*
*लेकिन वहीं कानपुर कमिश्नरी अंतर्गत आने वाले कई थानों में क़ानून व्यवस्था अपनी ही तरह से चलाई जाती है*
*जहां एक तरफ़ कानपुर कमिश्नरी में कार्यरत उच्च अधिकारियों द्वारा अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही होती है तो दूसरी तरफ थानों और चौकियों में आरोपियों के कथनानुसार रिपोर्ट दर्ज की जाती है*
*जहां कोर्ट महिला के साथ अभद्रता करने पर कड़ी कार्यवाही करने के आदेश देता है तो दूसरी तरफ महिला के साथ हो रहे अभद्र व्यवहार पर थानों और चौकियों से अनदेखा किया जाता है या फ़िर हल्की धारा लगाकर आरोपी को बरी कर दिया जाता है*
*वहीं अगर कोई पत्रकार किसी अपराधी के ग़लत कारनामों का उजागर करता है तो पत्रकारों को क़ानून के कई नियमों को बताकर या फ़िर अपराधियो की पहुंच बताकर डराने का काम भी किया जाता है*
*आज स्थिति यह है कि थानों और चौकियों से न्याय न मिलने से, पीड़ित समाज के लोगों का भरोसा उच्च अधिकारी गढ़ या फ़िर कोर्ट बन गया है*
*वहीं इंसाफ मिलने की पहली सीढ़ी(थाने और चौंकी)टूटी हुई नज़र आ रही है या फ़िर सिर्फ़ नेताओं या फ़िर बड़ी पहुंच वालो के सामने न्याय दिलाने वाली पहली सीढ़ी टूटी हुई दिखाई पड़ती है*
*वहीं पीड़ित अगर कमज़ोर और ग़रीब हैं तो थानों और चौकियों से न्याय मिलना असंभव है और अगर पीड़ित धनवान है तो न्याय प्रथम सीढ़ी से ही मिलना शुरू हो जाता है*
*न्याय करने की प्रक्रिया भी कई प्रकार की चल रही है, क़ानून व्यवस्था में सेंध लगाने का कार्य जिम्मेदार स्वयं करते नज़र आते हैं। वहीं फेसबुक पर अभद्र टिप्पणी करने पर शांति भंग की धारा लगा कर जेल भेजने का कार्य किया जाता है तो दूसरी तरफ दुकान के अंदर घुस कर महिला को गालियां देते हुए धमकाया जाता है, अभद्र व्यवहार किया जाता है और आरोपी पर हल्की धारा लगा कर छोड़ भी दिया जाता है
कानपुर डिस्टिक हेड
राहुल द्विवेदी की रीपोर्ट




