कानपुर में दो किस्म के कानून चलते हैं।
फिरोज खान की रिपोर्ट
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में तो खासकर
किसी महिला के खिलाफ आम आदमी कोई अपराध करे तो जेल, लेकिन अपराधी पुलिसवाला है तो अभयदान निश्चित है।
अक्टूबर महीने को याद कीजिए। मुंबई से रिकवर लड़की एक कार से कानपुर लाई जाती है। लड़की आरोप लगाती है कि गाड़ी में मौजूद दरोगा ने नासिक से लेकर कानपुर तक उससे शारीरिक छेड़छाड़ की। कई दिनों बाद मामला सामने आया तो SI पहले लाइन हाजिर हुआ, फिर निलंबन।
इसके बाद क्या हुआ, किसी को नहीं पता? दावा किया गया कि जांच जारी है। निलंबन के पहले बताया गया कि गाड़ी में मौजूद पुलिसवालों ने दरोगा की घटिया हरकत की पुष्टि की थी। लेकिन अब तक FIR, गिरफ्तारी की कोई सूचना नहीं है।
अब ACP मोहसिन खान की बात करते हैं। मोहसिन एक ऐसे कॉलेज #IIT Kanpur में PHD करने जाते हैं, जिसका नाम पूरी दुनिया में सम्मान से लिया जाता है। वहां ACP एक तरह से पूरी UP Police का प्रतिनिधत्व कर रहे थे। लेकिन सड़कछाप हरकत के बारे में सबको पता चल ही गया।
इसके बाद वो सब हुआ, जो पुलिस करती है। डराना, बदनामी का डर दिखाना, लड़की को पागल साबित करना। जब बात गंगा और यमुना को पार करती हुई लखनऊ, दिल्ली पहुंची तो मजबूरन FIR हुई। उसके बाद निलंबन न गिरफ्तारी, सीधे PHQ लखनऊ में अटैच।
कानपुर में शायद पुलिसवालों को ये विशेषाधिकार हासिल है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध कर वो खुले में घूमेंगे। कोई अपराध करने पर या तो वे पुलिस लाइंस भेजे जाएंगे या PHQ से अटैच होंगे।
इसके पहले DM आवास कंपाउंड के ऑफिसर्स क्लब में एक महिला को हत्या करके गाड़ दिया गया था। सभी सीसीटीवी फुटेज गायब कर दिए गए थे। आज तक कोई नहीं जान पाया कि महिला के साथ क्या क्या हुआ और कैसे और किसने उसका मर्डर करवाया। डीएम कंपाउंड के भीतर से जाने वाले रस्ते पर 6 फीट का गड्ढा खोदकर महिला को गाड़ दिया। जिसको फंसाना था उसकी मोटरसाइकिल भी वहीं प्लांट कर दी लेकिन सभी सीसीटीवी फुटेज गायब कर दिए गए।
ये है कानपुर की पुलिस
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