*गंगाघाट अपडेट*
*अवैध यूनिपोल,होर्डिंग और बैनरों से पटा नगर पालिका गंगाघाट*
*अवैध होर्डिंग, बैनर और यूनिपोल शुक्लागंज की खूबसूरती पर बना ग्रहण*
आपको बता दे नगर पालिक परिषद गंगाघाट आजकल अवैध यूनिपोल, होर्डिंग और बैनरों का हब बना हुआ है। शुक्लागंज के राजधानी मार्ग पर जहाँ आपकी नजर पड़ेगी हर तरफ सिर्फ अवैध होर्डिंग, बैनर और यूनिपोल ही दिखाई देंगे। माजरा ये भी है कि होर्डिंग माफियाओ का दबदबा इस कदर हावी है कि मार्ग पर लगे डायरेक्शन साइन पोल पर भी अपना कब्ज़ा बनाये हुए है। होर्डिंग माफियाओ को तनिक भी शासन प्रशासन का भय नहीं है सरकारी पोल को भी अपनी जागीर समझकर निजी विज्ञापन लगवाकर मोटी कमाई कर रहे है। साफ तौर से स्पष्ट है कि शासन प्रशासन भी इन होर्डिंग माफियाओ के सामने बौना दिख रहा है।
अवैध होर्डिंग, बैनर और यूनिपोल से होर्डिंग माफिया अच्छी खासी मोटी कमाई कर अपनी जेब भर रहे है। मगर सोचने वाली बात यह है कि इन होर्डिंग माफिया पर आखिर क्यों कोई कार्रवाई नहीं हो रही है? क्या इन पर पालिका के अधिकारी, कर्मचारी व नेतागण का शरण है या यू कहे कि ये लोग भी इस काली कमाई के हिस्सेदार है?
आपको बता दे कि इस मामले पर लोक निर्माण विभाग ने नगर पालिका गंगाघाट को लिखित पत्र जारी कर डिवाइडर पर लगे यूनिपोल और मार्ग के दोनों तरफ होर्डिंग एवं बैनरों को हटवाने का आदेश किया था।
बावजूद इसके नगर पालिका गंगाघाट लोक निर्माण विभाग के आदेश की धज्जियाँ उड़ते हुए ताक पर रखे हुए है।
लिखित पत्र में लोक निर्माण विभाग ने ये भी बताया था कि अगर नियत तिथि पर नगर पालिका गंगाघाट द्वारा डिवाइडर पर लगे यूनिपोल और मार्ग के दोनों रास्ते पर लगे होर्डिंग एवं बैनरों पर अभियान चलाकर हटवाने का काम नहीं करेगी तो विभाग द्वारा स्वयं अभियान चलाकर इन अवैध होर्डिंग, बैनरों और यूनिपोल को हटवाने का काम करेगी। लेकिन लिखित पत्र में तय अवधी समाप्त होने के बावजूद कई माह बीत जाने पर भी लोक निर्माण विभाग द्वारा भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
*आखिर लोक निर्माण विभाग भी इस मामले में उदासीन क्यों दिखाई दे रहा है? या विभाग को भी इस काली कमाई का हिस्सेदार बना लिया है।*
*सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि अगर इन अवैध यूनिपोल होर्डिंग और बैनरों से अगर कोई हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
संवाददाता
शुभम शुक्ला की रिपोर्ट