झोलाछाप की लापरवाही से 14 साल की सोनम की मौत!
फिरोज खान की रिपोर्ट
बरेली में मासूम की जान गई, स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर सवाल
बरेली। कैंट क्षेत्र निवासी मनोज सागर की 14 वर्षीय बेटी सोनम की दर्दनाक मौत ने स्वास्थ्य विभाग की खामियों और पुलिसिया लापरवाही को बेनकाब कर दिया है। आरोप है कि खुद को टीबी स्पेशलिस्ट बताने वाला झोलाछाप अमर पाल गंगवार उर्फ बब्लू ने गलत दवाएँ देकर बच्ची की जिंदगी छीन ली। हैरानी यह कि कई बड़े अस्पतालों ने भी इलाज करने से इनकार कर दिया, क्योंकि जो दवाएँ सोनम को दी जा रही थीं वो टीबी की थीं ही नहीं, बीमारी के उलट दवाएँ चल रही थीं!
9 माह के सरकारी कोर्स के बीच झोलाछाप का ‘6 महीने में ठीक कर दूँगा’ वाला झांसा
सीएमओ को भेजे शिकायत पत्र में पिता मनोज सागर ने बताया कि जिला अस्पताल में टीबी की पुष्टि के बाद डॉक्टरों ने 9 माह का कोर्स शुरू कराया था। इसी दौरान नेकपुर में क्लिनिक चलाने वाला अमर पाल गंगवार उर्फ बब्लू खुद को “टीबी का बड़ा विशेषज्ञ” बताकर सामने आया और भरोसा दिलाया—“आपकी बेटी को 6 महीने में ठीक कर दूँगा।”
विश्वास में आए परिवार ने 25 मार्च 2024 से उसका इलाज शुरू करा दिया। लेकिन दो महीने में सोनम की हालत सुधरने के बजाय तेजी से बिगड़ने लगी।
बरेली से लेकर देहरादून तक भटकता रहा परिवार, हर डॉक्टर ने कहा—इन दवाओं से हालात और खराब हुए
जब हालत गंभीर हुई तो परिजन सोनम को बरेली, मथुरा, वृंदावन, ऋषिकेश और देहरादून तक ले गए, लेकिन हर डॉक्टर ने एक ही बात कही—
“ये दवाएँ टीबी की नहीं हैं। गलत इलाज से हालत और बिगड़ी है। हम इसे हाथ नहीं लगाएंगे।”
25 मई 2024 को देहरादून के प्राइमस अस्पताल में सोनम ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया। बेटी की मौत से टूटे मनोज सागर का दर्द फूट पड़ा—
“मेरी बच्ची इलाज मांग रही थी… और झोलाछाप उसे मौत की ओर धकेल रहा था।”
मुकदमा दर्ज, लेकिन पुलिस ने लगा दी FR! उठ रहे बड़े सवाल
मनोज ने अमर पाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह कि पुलिस ने मामले में एफआर लगा दी।
परिजन का आरोप है कि झोलाछाप पैसे और पहुँच के दम पर कार्रवाई से बच रहा है।
दवाओं के रेपर, पर्चे और रिपोर्टें आज भी संकेत देती हैं—‘गलत इलाज ने ली मासूम की जान’
पीड़ित पिता के पास आज भी झोलाछाप द्वारा दी गई दवाओं के रेपर, पर्चे और रिपोर्ट मौजूद हैं, जो लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं—
कब तक ऐसे नकली डॉक्टर मासूमों की जान लेते रहेंगे?
कब तक प्रशासन उनकी करतूत पर पर्दा डालता रहेगा?
बरेली में 14 साल की सोनम की मौत ने न सिर्फ स्वास्थ्य तंत्र बल्कि पुलिसिया कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। पीड़ित परिवार अब न्याय की गुहार लिए प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। स्वास्थ्य विभाग व पुलिस की चुप्पी ने इस मामले को और संवेदनशील बना दिया है।
सवाल साफ है—क्या बरेली में झोलाछापों की खुली छूट है, या एक और मासूम की मौत के बाद सिस्टम जागेगा?




