वाह रे बेशर्म तंत्र
स्कूल की छत गिरी, मासूम जानें गईं — फंड नहीं था सरकार के पास
सीएम के दौरे से पहले टूटी सड़क चमकाई जा रही है
ब्यूरो चीफ़ — जलौन
शैलेन्द्र सिंह तोमर
राजस्थान से एक शर्मनाक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। एक सरकारी स्कूल की जर्जर छत गिरने से कई मासूम बच्चों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, स्कूल की छत काफी समय से जर्जर स्थिति में थी, लेकिन बार-बार शिकायतों के बावजूद सरकार ने मरम्मत के लिए कोई फंड जारी नहीं किया।
इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री का दौरा तय हुआ। लेकिन अफसोस की बात यह है कि जिन बच्चों की जान बचाने के लिए सरकार के पास फंड नहीं था, उन्हीं बच्चों की मौत के बाद जब सीएम आ रहे हैं, तो सड़कें चमकाई जा रही हैं। जो सड़कें वर्षों से टूटी पड़ी थीं, उन पर अचानक रातों-रात डामर बिछाया जा रहा है।
गांववालों में गुस्सा है, पीड़ा है और सवाल हैं — क्या सत्ता के लिए इंसान की जान से ज्यादा अहम है दिखावा?
एक अभिभावक की आंखों में आंसू थे, जब उन्होंने कहा — “अगर समय पर स्कूल की मरम्मत हो जाती, तो मेरा बच्चा आज जिंदा होता। लेकिन सरकार को सड़कें बनवानी हैं, वह भी तब जब सीएम आ रहे हों।”
ये सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक सिस्टम की बेशर्मी की इंतिहा है। जब तक नेता नहीं आते, तब तक बच्चों की जान भी अहम नहीं।
सरकार जवाब दे — बच्चों की जान सस्ती क्यों है और नेताओं के स्वागत के लिए सड़कें इतनी कीमती क्यों?




