करनाल,,,
मन की उड़ान साहित्यिक मंच करनाल हरियाणा द्वारा एम डी डी बाल भवन प्रांगण करनाल में शाम- ए -ग़ज़ल का आठवां कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं ग़ज़लकार हरबंस लाल पथिक ने की, मुख्य अतिथि प्रधानाचार्य डॉ हर्ष सेठी विशिष्ट अतिथि कवि कृष्ण कुमार निर्माण व शायरा सुमन मुस्कान रहे। विशेष रूप से एम डी डी बाल भवन संस्थापक पी आर नाथ व समाजसेवी पूनम गोयल भी उपस्थित रहे। एम डी डी बाल भवन संस्थापक पी आर नाथ ने सभी आए कवियों,कवयित्रियों शायरो व रचनाकारों का आभार व्यक्त किया ओर एम डी डी बाल भवन के पच्चीस वर्षों के सफर को सभी के साथ सांझा किया।
राजेंद्र करनाल की रिपोर्ट,
कार्यक्रम की शुरुआत कुमारी खुशबू ने सरस्वती वंदना से की,कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ ग़ज़लकार हरबंस लाल पथिक ने कहा इक रोज़ उसने कह दिया संगदिल मुझे,मैं पिघलकर एक दरिया हो गया,मुख्य अतिथि डॉ हर्ष सेठी ने कहा सफर में मुश्किलें आए तो हिम्मत ओर बढ़ती है,अगर कोई रास्ता रोके तो ज़रूरत और बढ़ती है,कवि व विशिष्ट अतिथि कृष्ण कुमार निर्माण ने कहा बेशक गम हो अच्छा है,हर दम जीना अच्छा है, यारों जैसा ना हो पर,इक दोस्त तो अच्छा है,शायरा व विशिष्ट अतिथि सुमन मुस्कान ने कहा मंजिल उसके दरवाजे पर खुद ही चल के आई है गर्दिश में भी तुफानों से जिसने आंँख मिलाई है,कवयित्री पूनम गोयल ने कहा कहते हैं कि इश्क कोई जुर्म नहीं है फिर भी,मुझ पर क्यों आता है इल्ज़ाम ख़ुदा जाने,वरिष्ठ शायर इकबाल पानीपती ने कहा ज़िन्दगी गुल की तरह खुशबू लुटा कर काट दी,हमने गम के दौर में भी मुस्कुरा के काट दी,कवि डॉ आर बी कपूर ने कहा सारी रात पढ़ते रहे हम किताब जिन्दगी की,कुछ समझ लगी कुछ ना लगी किताब जिन्दगी की,मंच संस्थापक रचनाकार रामेश्वर देव ने कहा बदनसीबी का ये आलम तोड़ देंगे एक दिन,देख लेना रूख़ हवा का मोड़ देंगे एक दिन,युवा शायर संजोत सिंह ने कहा देख किताबों से डर लगने लगा है,तकनीक से बेहद डर लगने लगा है, युवा शायर आशीष ताज ने कहा आंसू का महफिलों में बहाना नहीं अच्छा,वो आ गए हैं देखो तमाशा नहीं अच्छा, कवयित्री सुषमा चौपड़ा ने कहा आओ तुम्हें ले चले उस अनंत की ओर,जहां कुछ ओर नहीं केवल शून्य है,कवयित्री ममता प्रवीण ने कहा सबको आइना यहां दिखाने लगे हैं लोग, मगर अपने सच से कतराने लगे हैं लोग,कवि डॉ श्याम प्रीति ने हर ‘मैं’ से पहले वो मांँ है,हर दम से पहले वो मांँ है,कवि सत्या कोहंड ने कहा जितना देखा समझा जितना मैंने पाया,उतना ही रखा बस लेखनी का पैमाना,कवि एम सी योगी ने कहा सच्ची राह दिखाई मैंने तो तुमको सदा,भटकना तुम चुनते रहे मेरी खता क्या है,कुमारी खुशबू ने कहा क्या वो गली आज भी हैं वहां, जिसकी वजह से मैं बदनाम हूं,कवयित्री प्रीति सिंह ने कहा ये ज़िन्दगी है सफर मुख्तसर सा,किसी को मिल गयी मंजिल कोई चलता ही रहा,शायर ताहिर सदनपुरी ने कहा दौरे हाज़िर की तरक्की से ये आसान हुआ,एक मुट्ठी में सिमट आई है सारी दुनिया,युवा शायर अशोक मलंग ने कहा ज़िन्दगी में कभी बाप रोया नहीं,पर विदाई पे बेटी रूलाने लगी, राकेश आदि ने कहा बुड्ढा हुआ प्यारे तेरी एक ना चले,दुखों ने घेरा है तुम्हें चैन ना मिले, मधुर आवाज के धनी रमेश कुमार ने गीत के माध्यम से अ
पनी प्रस्तुति दी,कार्यक्रम का मंच संचालन रामेश्वर देव ने किया, कार्यक्रम अध्यक्ष,मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों का मंच की ओर से स्मृति चिह्न व अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में गोपाल दास,आफ़रीन शीला रानी,आरती,देव,कमल,आयुष सहित श्रोतागण उपस्थित रहे।




