लंगर में केसर मलाई युक्त दूध व चने मसाला युक्त पुलाव के प्रसाद का वितरण किया गया।
श्रीगंगानगर,20 जनवरी। श्री गुरु अर्जुन दास सत्संग भवन के संस्थापक एवं श्री रूद्र हनुमान सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गुरु अर्जुन दास जी के द्वारा सत्संग भवन में 625 वा लंगर लगाया गया। लंगर में केसर मलाई युक्त दूध व चने मसाला युक्त पुलाव के प्रसाद का वितरण किया गया। समिति द्वारा सेवाएं श्री गुरु अर्जुन दास, हुकुम देवी, संगठन मंत्री सतपाल कोर, अनुज मल्होत्रा, पंडित नरेश शर्मा, आशा रानी, सुभाष छाबड़ा, राजेश अंगी, एम डी सतीश, राजरानी, दिया, खुशी, निशा, सविता नवनीत मलोट, साहिल, देवेंद्र, संजू, जगतार सिंह, सिद्धू, पूनम, महेंद्र भटेजा व अन्य सदस्यों द्वारा दी गई। सभी ने तन मन से सेवा दी।श्री गुरु अर्जुन दास जी महाराज द्वारा महाकुंभ के बारे में बताया गया कि”महाकुंभ मेला समुद्र मंथन की कहानी से जुड़ा है। पौराणिक मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से अमृत का कलश निकला। देवताओं और राक्षसों के बीच इसे पाने के लिए 12 दिन तक युद्ध हुआ। इस दौरान, अमृत की कुछ बूंदें धरती पर चार जगहों पर गिरीं – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इन्हीं जगहों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकुंभ सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि शाश्वत संस्कृति सभ्यता आस्था, विश्वास और एकता का प्रतीक है। यहां लोग संगम में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और साधु-संतों का आशीर्वाद लेते हैं। ईश्वर परमात्मा सतगुरुदेव की पुजा प्रार्थना करतें हैं माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति तीन दिन तक नियम से स्नान करेंगे तो उसे हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।महाकुंभ का पहला (शाही ) अमृत स्नान 13 जनवरी 2025 को पौष पुर्णिमा के दिन से शुरू हुआ। इस दिन सबसे पहले नागा साधु संगम में स्नान करते हैं। उनके बाद आम लोग स्नान कर सकते हैं। शाही) अमृत महोत्सव स्नान को बेहद खास माना जाता है क्योंकि इस दिन संगम में डुबकी लगाने से कई गुना ज्यादा पुण्य मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन स्नान करने से न सिर्फ इस जन्म के, बल्कि पिछले जन्म के पाप भी खत्म हो जाते हैं। इसके साथ ही पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है। विनम्र निवेदन पवित्र जल में आस्था के नाम पर कचरा ना डालें निर्मल जल हमारा ही निर्माण करता है ।