सोना रिकॉर्ड छलांग के लिए तैयार, वैश्विक संकेतों से भाव ₹90 हजार तक पहुंचने का अनुमान सुरक्षित निवेश के रूप में सोने का भाव नए साल में भी रिकॉर्ड स्तरों तक पहुंच सकता है। कीमतें 85,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती हैं। अगर भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं जारी रहती हैं तो घरेलू बाजार में यह 90,000 रुपये के स्तर तक भी पहुंच सकता है।मौद्रिक नीति में नरम रुख और केंद्रीय बैंकों की खरीद से भी सोने में तेजी को मदद मिल रही है। हालांकि यदि भू-राजनीतिक संकट कम हो जाए, तो रुपये के मूल्य में गिरावट थमने के कारण कीमती धातु कमजोर पड़ सकती है। वर्तमान में हाजिर बाजार में सोने का भाव 79,350 रुपये प्रति 10 ग्राम और मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर वायदा कारोबार में 76,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर चल रहा है।
कानपुर डिस्टिक हेड
राहुल द्विवेदी की रिपोर्ट
2024 में सोने ने दिया 23 प्रतिशत रिटर्न, चांदी में 30 प्रतिशत बढ़त
सोने ने 2024 में अपने नए शिखर पर पहुंचने के साथ मजबूत प्रदर्शन किया। दौरान घरेलू बाजार में सोने में 23 प्रतिशत रिटर्न दर्ज किया गया। 30 अक्तूबर को पीली धातु ने 82,400 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर को छुआ। चांदी ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए 30 प्रतिशत की बढ़त के साथ 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को पार कर गई। वैश्विक स्तर पर, कॉमेक्स सोना वायदा ने वर्ष की शुरुआत लगभग 2,062 डॉलर प्रति औंस पर की और 31 अक्टूबर को 2,790 डॉलर प्रति औंस के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिससे 28 प्रतिशत तक का रिटर्न मिला, जिससे वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सोने का आकर्षण मजबूत हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि भू-राजनीतिक तनाव, केंद्रीय बैंक की खरीद और प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कमी की ओर रुख के कारण 2025 में भी कीमती धातुएं मजबूत प्रदर्शन करेंगी।
2025 में 85 हजार से 90 हजार के स्तर तक पहुंच सकता है सोना
एलकेपी सिक्योरिटीज के वीपी रिसर्च एनालिस्ट- कमोडिटी एंड करेंसी, जतिन त्रिवेदी ने पीटीआई को बताया कि 2025 में सोने के लिए दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है, हालांकि 2024 की तुलना में विकास की गति धीमी हो सकती है। उन्होंने कहा, “घरेलू स्तर पर सोने की कीमतें 85,000 रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, जबकि सर्वोत्तम स्थिति में यह 90,000 रुपये तक पहुंच सकती है। यदि भू-राजनीतिक तनाव जारी रहता है या बढ़ता है तो चांदी की कीमतें मामूली बढ़त के साथ 1.1 लाख रुपये तक पहुंच सकती हैं और यहां तक कि 1.25 लाख रुपये तक भी पहुंच सकती हैं।”
सर्राफा बाजार की चाल पर केंद्रीय बैंकों के फैसले का पड़ेगा असर
त्रिवेदी के अनुसार, बुलियन मार्केट के लिए के लिए ब्याज दर चक्र भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर दरें घटने से बाजार में तरलता आएगी और अमेरिकी डॉलर कमजोर होगा। ऐसा हुआ तो सोने की कीमतों को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, ब्याज दरों में कटौती के मामले में अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सतर्क रुख से कीमतों में बढ़ोतरी की गति धीमी पड़ सकती है। त्रिवेदी ने कहा कि इसके अलावा, विविधीकरण रणनीतियों और मुद्रा स्थिरता को लेकर चिंताओं के कारण केंद्रीय बैंकों द्वारा निरंतर सोने की खरीद से बुलियन को मजबूत समर्थन मिलेगा। वर्ष 2024 में सोने की मांग और आपूर्ति की गतिशीलता को कई कारकों ने आकार दिया है, जिसमें अशांत भू-राजनीतिक परिदृश्य भी शामिल है। रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में तनाव के कारण सुरक्षित निवेश के लिए बुलियन की मांग बढ़ी है, जिससे इस साल इसकी कीमतों पर असर पड़ा है।
अशांत भू-राजनीतिक माहौल का भी सर्राफा कारोबार पर पड़ेगा असर
त्रिवेदी ने कहा, “अशांत भू-राजनीतिक माहौल से सोने और चांदी के बाजार सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। इन भू-राजनीतिक संकटों के कारण कीमतों में आमतौर पर तत्काल 2-3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे अनिश्चितता के खिलाफ ढाल के रूप में कीमती धातुओं के प्रति निवेशकों की पसंद की पुष्टि हुई है।” हालांकि, कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के सह-संस्थापक और सीईओ ज्ञानशेखर त्यागराजन के अनुसार सोने की कीमतें गति बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं क्योंकि भू-राजनीतिक अनिश्चितता और आर्थिक अनिश्चितता प्रीमियम गायब होने लगी है।
बढ़ती महंगाई बुलियन के आकर्षण को कर सकती है कमजोर
त्यागराजन के अनुसार, “बाजार प्रतिभागी अब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युग, आर्थिक नीतियों और मुद्रास्फीति को 2 प्रतिशत तक लाने के फेड के आदेश पर उनके संभावित भावी प्रभाव को ध्यान में रख रहे हैं। उच्च मुद्रास्फीति की आशंका बुलियन के आकर्षण को कमजोर कर सकती हैं।” उन्होंने कहा, “इसके अलावा, हमें यह देखकर आश्चर्य नहीं होगा कि फेड मई से ब्याज दरों में कटौती का विकल्प चुनता है, क्योंकि इससे नए प्रशासन की वास्तविक आर्थिक नीतियों के बारे में स्पष्ट तस्वीर बन सकेगी, न कि विदेशी समकक्षों के साथ बातचीत में लाभ प्राप्त करने के लिए की गई टिप्पणियों के बारे में।” उन्होंने कहा कि 2025 की पहली छमाही में सोने के लिए मंदी का पूर्वानुमान है, इसके 2,455 अमेरिकी डॉलर (एमसीएक्स: 73,000-73,500) तक पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि रुपये में और गिरावट आने की उम्मीद है, जिससे आगामी वर्ष में अंतरराष्ट्रीय कीमतों के सापेक्ष स्थानीय कीमतों में गिरावट रुक सकती है। घरेलू बाजार में, इस वर्ष जुलाई में सरकार द्वारा सोने के आयात शुल्क में 6 प्रतिशत की कटौती करने के निर्णय से सोने की कीमतों में 7 प्रतिशत की तीव्र गिरावट आई, जो 5,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के बराबर थी।
त्योहारों और शादियों के मौसम में सोने की भौतिक मांग में दिखी तेजी
कीमतों में गिरावट से त्योहारों और शादियों के मौसम में सोने की भौतिक मांग में तेजी आई। इस गिरावट से न केवल सोना अधिक किफायती हुआ, बल्कि खरीदारी में भी तेजी आई, जिससे ज्वैलर्स और उपभोक्ताओं की ओर से मजबूत खपत को समर्थन मिला। मेहता इक्विटीज लिमिटेड के कमोडिटीज के उपाध्यक्ष राहुल कलंत्री ने कहा, “2024 में सोने के आभूषणों की खपत में 17 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जो मुख्य रूप से सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ-साथ त्योहारी और शादी-विवाह से संबंधित मांग के कारण होगी। इसके अलावा, जुलाई 2024 के केंद्रीय बजट में आयात शुल्क में 900 आधार अंकों की तीव्र कटौती की घोषणा से आभूषण, बार और सिक्कों की मांग में तेजी आई है।” शुल्क कटौती के बाद मूल्य सुधार से आभूषणों की मांग में वर्ष दर वर्ष अनुमानतः 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
2019 से 2024 के दौरान 11 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ा आभूषण उद्योग
इक्रा लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और सह-समूह प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग) श्रीकुमार कृष्णमूर्ति के अनुसार, मूल्य के संदर्भ में घरेलू आभूषण उद्योग वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2024 की अवधि में 11 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। कृष्णमूर्ति ने कहा कि संगठित आभूषण व्यापार को ऐसे कारकों से समर्थन मिलता रहेगा, जैसे द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में स्टोरों का विस्तार, सोने की ऊंची कीमतों के बीच बेहतर प्राप्ति, ब्रांडेड आभूषणों के प्रति वरीयता में बदलाव, बेहतर ग्रामीण उत्पादन में सहायक अनुकूल मानसून और सीमा शुल्क में कटौती का समग्र लाभ संगठित व्यापार को समर्थन देना जारी रखेगा। बहुमूल्य धातुओं की वैश्विक मांग में काफी वृद्धि हुई है, भारत सहित प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीद जारी रखी है, 2024 में शुद्ध खरीद 500 टन से अधिक हो गई है, क्योंकि यह आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच अपने भंडार में विविधता लाने की रणनीति को दर्शाता है।
ट्रेजरी यील्ड में वृद्धि से सोने की कीमतों पर बढ़ता है दबाव
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के कमोडिटी रिसर्च के विश्लेषक मानव मोदी ने कहा, “केंद्रीय बैंकों की खरीदारी एक महत्वपूर्ण कारक रही है। उनका संचय फिएट मुद्रा की अस्थिरता के खिलाफ बचाव के लिए दीर्घकालिक रणनीति को दर्शाता है, जिससे सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है।” नवंबर में देश का सोने का आयात 14.86 अरब अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो चार गुना वृद्धि दर्शाता है। मुख्य रूप से त्यौहार और शादी-ब्याह की मांग के कारण आयात में वृद्धि हुई है। इस बीच, डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में फिर से चुने जाने से बुलियन बाजारों में अप्रत्याशित बदलाव आया। क्रिप्टोकरेंसी के प्रति ट्रम्प के रुख के परिणामस्वरूप डिजिटल परिसंपत्तियों में तेजी आई, साथ ही ट्रेजरी यील्ड में भी वृद्धि हुई, जिससे कुछ निवेशक सोने से दूर हो गए।
चुनौतियों के बावजूद 2025 में सोने में दोहरे अंकों में रिटर्न की उम्मीद
एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) के बहिर्वाह ने भी वर्ष के उत्तरार्ध में बुलियन कीमतों पर दबाव बढ़ाया। यूएस फेड की मौद्रिक नीति बुलियन की कीमतों को आकार देने वाले अन्य प्रमुख कारकों में से एक है। हालांकि आक्रामक दर कटौती की शुरुआती उम्मीदों ने कीमतों को बढ़ावा दिया, लेकिन फेड के सतर्क दृष्टिकोण ने 2025 के लिए केवल दो दर कटौती का अनुमान लगाया- जो लाभ को कम कर सकता है। एंजेल वन के डीवीपी-रिसर्च, नॉन-एग्री कमोडिटीज एंड करेंसीज, प्रथमेश माल्या के अनुसार, इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, हमें उम्मीद है कि सोना 2025 में दोहरे अंकों के रिटर्न के साथ अपनी गति बनाए रखेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमतें 3200 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के स्तर तक बढ़ सकती हैं, जबकि एमसीएक्स पर सोने की कीमतें 2025 में 87,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक बढ़ सकती हैं। वर्ष 2025 में, सोना निरंतर बदलते आर्थिक और भू-राजनीतिक परिदृश्य में स्थिरता को बढ़ावा देना जारी रखेगा।
भारत ने जनवरी से अक्तूबर 2024 तक उसकी कुल सोने की खरीद 77 टन
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की रिपोर्ट पर आधारित डब्ल्यूजीसी के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने अक्तूबर में 27 टन सोना खरीदा, जिससे जनवरी से अक्तूबर 2024 तक उसकी कुल सोने की खरीद 77 टन हो गई। कोटक सिक्योरिटीज के करेंसी एवं कमोडिटी रिसर्च प्रमुख अनिंद्य बनर्जी ने कहा कि 2024 सोने के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष रहा है, जिसमें कॉमेक्स सोना अपने वार्षिक निचले स्तर से 40 प्रतिशत से अधिक बढ़कर अक्टूबर में 2,801.8 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया।
एमसीएक्स पर सोना 2024 में 25 प्रतिशत से अधिक चढ़ा
बनर्जी ने कहा, “यह ऐतिहासिक तेजी 1979 के बाद से सबसे बड़ी वार्षिक बढ़त है। घरेलू मोर्चे पर, एमसीएक्स सोना भी इसी राह पर है, जो मजबूत भौतिक मांग के कारण इस साल अब तक 25 प्रतिशत से अधिक चढ़ चुका है।” उन्होंने कहा कि मजबूत खुदरा मांग और केंद्रीय बैंक की खरीद ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, पिछले दो वर्षों से केंद्रीय बैंक प्रतिवर्ष 1,000 टन से अधिक सोना खरीद रहे हैं, उन्होंने कहा कि चीन सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है, जिसने केंद्रीय बैंक की सोने की खरीद के लिए रिकॉर्ड वर्ष की सबसे मजबूत शुरुआत में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मार्च में हेज फंड गतिविधि ने सोने की मांग में 285 टन की वृद्धि की, जो बाजार में मजबूत विश्वास का संकेत है।
2025 की औद्योगिक गतिविधियों को लेकर बाजार सकारात्मक
इस बीच, उपभोक्ता धारणा पर, अखिल भारतीय रत्न और आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) के अध्यक्ष संयम मेहरा ने बताया कि उद्योग जगत 2025 को लकर सकारात्मक है, जिसमें आशाजनक घरेलू मांग, मजबूत निर्यात क्षमता और डिजिटलीकरण और स्थिरता प्रयासों के माध्यम से चल रहे परिवर्तन की उम्मीद है। उन्होंने कहा, “भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग 2025 तक पर्याप्त वृद्धि के लिए तैयार है, जो घरेलू मांग, निर्यात क्षमता और रणनीतिक पहलों के संयोजन से प्रेरित है। भारत का रत्न व आभूषण बाजार 2025 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। देश आभूषणों के उत्पादन, निर्यात और खपत के लिए सबसे बड़े वैश्विक केंद्रों में से एक बना हुआ है।”
2025 में सोने और हीरे के आभूषणों की मांग बढ़ने की उम्मीद
मेहरा ने कहा कि इस क्षेत्र में इस अवधि के दौरान 5-6 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) हासिल होने की उम्मीद है, जो स्थानीय और वैश्विक स्तर पर मजबूत उपभोक्ता मांग से प्रेरित है। उन्होंने कहा, “हालांकि हमें उम्मीद है कि 2025 में कीमती धातुओं की कीमतों में और वृद्धि होगी, लेकिन इससे सोने की समग्र मांग पर असर नहीं पड़ेगा और हमें उम्मीद है कि यह 2024 से बेहतर होगी, क्योंकि भारत का मध्यम वर्ग और युवा आबादी (जो उपभोक्ता आधार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है) सोने और हीरे के आभूषणों की मांग को बढ़ाती रहेगी। भारत में शादी के आभूषणों का बाजार भी विकास का एक प्रमुख चालक बना रहेगा।”
2025 के बारे में निर्यातक भी सकारात्मक, उन्हें मांग बढ़ने की उम्मीद
निर्यातक भी 2025 के बारे में सकारात्मक हैं और उनका कहना है कि प्रमुख निर्यात बाजारों, विशेषकर चीन में मांग बढ़ने की उम्मीद है। रत्न व आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के चेयरमैन विपुल शाह ने कहा, “भू-राजनीतिक तनाव के कारण मांग प्रभावित होने के कारण 2024 उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। यहां तक कि अमेरिका और चीन जैसे प्रमुख निर्यात बाजारों में मांग में मंदी ने भी समग्र निर्यात को प्रभावित किया है।” उन्होंने कहा कि मुख्य प्रश्न यह है कि मांग के अनुरूप उत्पादन को कैसे नियंत्रित किया जाए। उन्होंने कहा, “हालांकि, हम उम्मीद करते हैं कि 2025 में भू-राजनीतिक परिदृश्य में नरमी आने और चीन में मांग बढ़ने की उम्मीद है। ऐसा स्टॉक कम करने और चीनी सरकार द्वारा तरलता बढ़ाने के कारण होगा, जिससे 2025 में मांग में वृद्धि में मदद मिलेगी।”
https://chat.whatsapp.com/8YVCyOJbjrgHVKPik5nAPO