*बड़े बड़े सियासतदान थे धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव के फ़लसफ़ों के क़ायल-: ज़ैनब फ़ातिमा*
पहलवान मुलायम सिंह यादव जब कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे उसी समय उनके साथी उन्हें एमएलए बुलाने लगे थे। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मुलायम सिंह यादव छात्र राजनीति में कूद पड़े छात्र संघ का चुनाव लड़ा और जीत कर अध्यक्ष भी बने। अध्यक्ष रहते हुए मुलायम सिंह यादव छात्रों की समस्याओं को दूर करने की कोशिशें करते रहते थे। छात्र हित के लिए किसी भी आंदोलन से नही चूकते थे। मुलायम सिंह डॉ लोहिया से प्रभावित होकर बेसहारों, ग़रीबों और वंचित वर्गों के लिए आवाज़ उठाते रहते थे। मुलायम सिंह को राजनीति में एंट्री जसवंत नगर के विधायक नत्थू सिंह ने दिलाई थी। जसवंत नगर में एक कुश्ती के दंगल में युवा मुलायम सिंह यादव पर विधायक नत्थू सिंह की नज़र पड़ी। उन्होंने देखा कि मुलायम ने एक पहलवान को पल भर में चित्त कर दिया, नत्थू सिंह उनके मुरीद हो गए और अपना शागिर्द बना लिया। साल 1967 में विधानसभा का चुनाव हो रहा था, मुलायम के राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह ने उन्हें अपनी सीट से चुनाव लड़वाने के लिए लोहिया से पैरवी की और उनके नाम पर मुहर लग गई। जसवंत नगर विधानसभा सीट से मुलायम सिंह यादव सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। मुलायम सिंह अपने दोस्त दर्शन सिंह के साथ चुनाव प्रचार-प्रसार करने में लग गए लेकिन उनके पास संसाधनों की बहुत कमी थी। दोस्त दर्शन सिंह साईकिल चलाते और मुलायम कैरियर पर पीछे बैठकर गांव-गांव जाते ऐसे में दोनों लोगों ने मिलकर एक वोट, एक नोट का नारा दिया। दोनों आम जनता से चंदे में एक रुपया मांगते और उसे ब्याज सहित लौटाने का वायदा करते। कुछ पैसे इकट्ठा हुए तो चुनाव प्रचार के लिए एक पुरानी एम्बेसडर कार ख़रीद ली, गाड़ी तो आ गई लेकिन अब सवाल यह था कि उसके लिए तेल की व्यवस्था कैसे हो? फ़िर मुलायम सिंह यादव के घर पर एक बैठक हुई जिसमें गांव वालों ने यह निर्णय लिया कि हम हफ़्ते में एक दिन एक वक्त खाना खाएंगे और उससे जो अनाज बचेगा उसे बेचकर एम्बेसडर में तेल भरवाएंगे। इसी तरह कार के लिए गाड़ी में तेल का भी इंतेज़ाम हो गया। मुलायम सिंह की तेज़ याददाश्त की चर्चा आज भी राजनीतिक गलियारों में होती है। कहा जाता है कि मुलायम एकबार जिससे मिल लेते थे उसे तीस साल बाद भी पहचान लेते थे। अपने गांव के सभी वोटर्स के नाम इनको बख़ूबी याद रहते थे। मुलायम सिंह जब हैलीकॉप्टर से उड़ते थे तो ऊपर से गांव देखकर बता देते थे कि यह कौन सा गांव है। किसी भी राजनैतिक सभा में 30 से 40 लोगों को सीधा नाम से बुलाते थे।
*रक्षामंत्री रहते हुए जब मुलायम सिंह ने किया था पाकिस्तान को चैलेंज।*
पाकिस्तानी घुसपैठियों की बेबजह की फायरिंग पर मुलायम सिंह यादव ने रक्षामंत्री रहते हुए पाकिस्तान को चैलेंज कर बोला था कि अगर आवश्यकता पड़ी तो युध्द होगा। हमारे सैनिक पाकिस्तान की सरज़मीं पर युध्द करेंगे। पाकिस्तान में घुसकर पाकिस्तान को मारने का काम करेंगे। जिस प्रकार के साहस, वीरता और निर्भयता का परिचय देते हुए सैनिकों का हौसला बढ़ाते हुए देश के गौरव को बढ़ाने का कार्य उन्होंने किया था।
*मुलायम ने जब चवन्नी के लिए किया चैलेंज।*
यह क़िस्सा तब का है जब मुलायम सिंह यादव सियासत में नही आये थे। एकबार नेताजी बैलगाड़ी से शहर जा रहे थे उस दौरान चुंगी पर चवन्नी लगती थी लेकिन नेताजी के पास पैसे नही थे। तो उन्होंने कहा कि आढ़ती से लेकर बाद में दे देंगे लेकिन मुंशी नही माना और मुलायम सिंह यादव की बैलगाड़ी रोक दी। मुलायम सिंह आढ़ती के पास पहुंचे और पैसे लेकर आये इसके बाद मुंशी ने बैलगाड़ी आगे ले जाने को दी। जब नेताजी आढ़त पर पहुंचे तो उन्होंने आढ़ती से कहा की मैं मुख्यमंत्री बनूँगा तो यह चुंगी माफ़ कर दूंगा। नेताजी की इस बात पर सब हंसने लगे लेकिन मुलायम सिंह ने अपनी बात को सच करके दिखाया। वो मुख्यमंत्री भी बने और चुंगी भी माफ़ किया।
*डकैत के सामने सीना तानकर ख़ड़े हो गए थे मुलायम।*
मुलायम सिंह सियासत में नए नए आये थे। जालौन की माधोगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव चल रहा था, हरमोहन सिंह के साथ मुलायम सिंह यादव रातों को घूम-घूमकर प्रचार कर रहे थे। एकदिन जब मुलायम सिंह यादव रात में प्रचार कर रहे थे तभी पास के एक गांव में नेताजी को फ़ायरिंग की आवाज़ सुनाई दी नेताजी ने ड्राइवर से कहा इसी गांव में गाड़ी लेकर चलो शायद डकैती पड़ रही है उन्होंने पड़ोस के गांव से कुछ लोगों को भी जगाया। जिस गांव में फ़ायरिंग हो रही थी उस गांव में नेताजी सबसे आगे चलकर बेधड़क घुसते जा रहे थे। गांव से थोड़ा पहले रुक कर मुलायम सिंह यादव ने डकैतों को ललकारा। तो डकैतों ने नेताजी पर भी फ़ायरिंग कर दी। लेकिन नेताजी पूरी तरह बेख़ौफ़ थे और पीछे नही हटे। आख़िरकार डकैतों को गांव छोड़कर भागना पड़ा और गांव के सभी लोग सुरक्षित बच गए।
धोती-कुर्ता वाली नेताजी की पहचान और शायद यही वजह कि धरती से जुड़ा हुआ एक ऐसा नेता जिसको प्यार से जनता ने धरती पुत्र का नाम दिया। राजनीति में न सिर्फ़ अपना एक अलग मक़ाम हासिल किया बल्कि एक ऐसी पार्टी भी खड़ी कर दी जिसने कई बार उत्तरप्रदेश की सत्ता भी सम्भाली। और देश की सत्ता तक अपनी धमक महसूस कराई। मुलायम सिंह यादव की दरियादिली और बहादुरी के लाखों लोग मुरीद थे। नेताजी हमेशा अपने चाहने वालों के दिलों में हयात (ज़िन्दा) रहेंगें।
*बड़े बड़े सियासतदान थे धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव के फ़लसफ़ों के क़ायल-: ज़ैनब फ़ातिमा*
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