*जिला उन्नाव में गाड़ियों के ‘हूटर’ के शोर में दबा मुख्यमंत्री जी का आदेश।*
उन्नाव, वाहन चाहे सरकारी हो या निजी किसी में भी हूटर और लाल-नीली बत्ती का प्रयोग न करने का आदेश सूबे के मुखिया ने काफी पहले जारी किया था। कुछ दिनों तक अफसर व प्राइवेट वाहन मालिकों ने इसका पालन किया।
लेकिन, समय बीतने के साथ ही सभी ने अपने वाहनों में हूटर लगा लिये और जहां देखो वहां इन हूटरों का शोर भी सुनाई देने लगा। साथ ही सीएम का आदेश इन हूटरों के शोर में दबकर रह गया है। वहीं, जिम्मेदार अधिकारी इसे लेकर समय-समय पर अभियान चलाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन, जब बात आलाधिकारियों के वाहनों की आती है तो उनका दावा भी फेल नजर आता है।
जिले में तैनात अफसरों के सिर से वीआईपी की खुमारी अभी तक नहीं उतरी है। चाहे वह जिला स्तरीय अफसर हो या तहसील व किसी विभाग के अधिकारी। सभी अपने वाहनों में प्रतिबंधित हूटर व लाल-नीली बत्तियों का प्रयोग करते कहीं भी देखे जा सकते हैं। एक ओर मुख्यमंत्री प्रदेश में बीआईपी कल्चर खत्म करने को लेकर गंभीर हैं।
वहीं दूसरी ओर सरकारी अफसरों के ऊपर से यह कल्चर खत्म होता नहीं दिख रहा है। काफी समय पूर्व मुख्यमंत्री ने मंत्रियों व विधायकों से लेकर अफसरों तक को बत्ती व हूटर वाहनों में न लगाने के निर्देश दिए थे। इसके लिए प्रमुख सचिव की ओर से आदेश भी जारी किया गया है। लेकिन, जिले के प्रमुख विभागों कलक्ट्रेट, विकास भवन समेत अन्य कार्यालयों के परिसर में कई सरकारी अफसरों के वाहन ऐसे हूटर व बत्तियों से लैस खड़े रहते है।
अफसरों के साथ ही जन प्रतिनिधियों पर भी चढ़ा है रौब
वाहनों में हूटर लगाने में जिले के जन प्रतिनिधि भी पीछे नहीं है। विधायकों के अलावा नगर निकायों के अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख समेत अन्य नेता भी रौब गांठने को लेकर अपने वाहनों में हूटर लगाए हुए हैं। इन नेताओं की तो बात ही क्या इनके समर्थक तक अपने वाहनों को हूटरों से लैस किये हुए हैं।
*सिर्फ इनको है हूटर व बत्ती लगाने का अधिकार*
आपातकालीन सेवाओं में लगे वाहन, एंबुलेस, आपदा प्रबंधन, अग्निशमन वाहन व पुलिस वाहनों पर हूटर व बत्ती लगाई जा सकती है। इसके अलावा कानून व्यवस्था के लिए संचालित वाहन, निर्माण कायों में लगे वाहन, पुलिस व परिवहन विभाग के अफसरों के वाहनों में भी हूटर व बत्ती लगाई जा सकती है।
*बोले जिम्मेदार…*
एआरटीओ प्रशासन स्वेता वर्मा ने कहा कि निजी व सरकारी वाहनों में हुटर, बत्ती व पदनाम लिखने वालों के विरुद्ध समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। जल्द ही इसे लेकर फिर से अभियान चलाया जाएगा।
ब्यूरो उन्नाव
पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट