Kanpur: जेके कैंसर इंस्टीट्यूट में शुरू होगी बायोप्सी, इंस्टीट्यूट प्रबंधन ने शुरू की कवायद, ये है तैयारी
जेके कैंसर इंस्टीट्यूट में तीन साल बाद जल्द ही बायोप्सी शुरू होगी। प्रबंधन ने कवायद शुरू कर दी है और पीओसीटी को जिम्मेदारी देने की तैयारी है।
कानपुर में जेके कैंसर इंस्टीट्यूट में कैंसर की पुष्टि करने वाली बायोप्सी जांच तीन साल बाद जल्द ही शुरू हो सकती है। इसकी जिम्मेदारी पीओसीटी एजेंसी को दिए जाने की तैयारी में इंस्टीट्यूट प्रबंधन लगा हुआ है। इसके बाद कैंसर रोगियों की जांच के लिए सैंपल जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग नहीं भेजने पड़ेंगे।
इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. एसएन प्रसाद ने बताया कि ओपीडी में आने वाले बहुत से रोगी बाहर से बायोप्सी जांच कराकर अस्पताल आते हैं। औसत आठ सैंपल प्रतिदिन बायोप्सी जांच के लिए मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग भेजे जाते हैं। जांच रिपोर्ट आने में आठ से 10 दिन लगते हैं। उन्होंने बताया कि पीओसीटी के काम शुरू करने पर जांच यहीं होगी। पैथोलॉजी लैब में जांच के सारे उपकरण उपलब्ध हैं। पीओसीटी भी उपकरण और स्टाफ उपलब्ध कराती है।
कैंसर इंस्टीट्यूट में ढाई-तीन साल से बायोप्सी जांच नहीं हो पा रही है। इससे रोगियों को पैथोलॉजी विभाग के चक्कर लगाने पड़ते हैं। डॉ. एमपी मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद कोई पैथोलॉजिस्ट नहीं है। निदेशक डॉ. प्रसाद ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग से एक पैथोलॉजिस्ट मांगा था, लेकिन वहां स्टॉफ की कमी बताई गई। नए पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति अभी तक नहीं हुई।
अस्पताल प्रबंधन के अंडर में रहती है एजेंसी
पीओसीटी एजेंसी इस समय कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट, हैलट, चेस्ट हॉस्पिटल तथा उर्सला, कांशीराम हॉस्पिटल आदि सरकारी अस्पतालों में सुविधा उपलब्ध करा रही है। मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि एजेंसी मैन पावर और उपकरण निशुल्क देती है, सिर्फ रीजेंट का पैसा लेती है। एजेंसी अस्पताल प्रबंधन के अंडर में रहती है।
मेडिकल कॉलेज में बोन मैरो बायोप्सी शुरू
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग में बोन मैरो की बायोप्सी जांच शुरू हो गई है। विभागाध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि सरकारी अस्पतालों के रोगियों की जांच मुफ्त में की जा रही है। वहीं बायोप्सी की जांच की 70 रुपये फीस ली जाती है। इसके साथ ही एफएनएसी जांच की 30 रुपये फीस ली जाती है। सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों के सैंपल की भी जांच की जाती है।
अनुज सिंह की रिपोर्ट