दिल्ली से इस वक्त की बड़ी खबर….
सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश के तीन पैराग्राफ पर रोक लगा दी
जिसमें अदालत ने उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया था कि वह उन मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने से पहले सरकारी वकील से कानूनी राय ले,
जो प्रथम दृष्टया सिविल लेनदेन प्रतीत होते हैं,
न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार और न्यायमूर्ति संजय करोल की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने उच्च न्यायालय के उस निर्देश पर भी रोक लगा दी
जिसमें कहा गया था कि मजिस्ट्रेट को सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश तभी देना चाहिए
जब वे इस बात से संतुष्ट हो जाएं कि पक्षों के बीच कोई पूर्व सिविल विवाद लंबित नहीं है।
हाई कोर्ट ने DGP को निर्देशित किया था कि वह सभी जिलों के लिए दिशानिर्देश जारी करें।
सह संपादक
मनोज श्रीवास्तव की रिपोर्ट