कमल के तने से फाइबर निष्कर्षण हेतु एक नवीन उपकरण और उसकी विधि के शोध विषय पर भारत सरकार से सीएसए को मिला पेटेंट ।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के गृह विज्ञान महाविद्यालय के वस्त्र एवं परिधान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर रितु पांडेय को भारत सरकार के पैटेंट कार्यालय द्वारा उनके शोध को पेटेंट प्रमाण पत्र मिला है। डॉक्टर पांडेय ने बताया कि कमल के तने से फाइबर निष्कर्षण हेतु एक नवीन उपकरण और उसकी विधि विषयक पर नवीन शोध किया है। उन्होंने बताया कि कमल के सम्पूर्ण भाग की उपयोगिता सर्वविदित है! इसके केसर, बीज,पंखुड़ी, पत्ती, जड़ तथा डंठल उपयोगी है। उन्होंने बताया कि किसान अब कमल की खेती करके इसके तने से रेशे निकालकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि कमल से रेशे निकालने की पारंपरिक प्रक्रिया हाथों द्वारा ही सम्पन्न की जाती है। इसमें कमल के तने को छोटे छोटे भागों में तोड़ा जाता है तथा टूटे हुए तने को मरोड़कर रेशा निकाला जाता है।परंतु एक नए यन्त्र द्वारा कमल के रेशे निकालने की प्रक्रिया को सरलीकरण किया गया है। डॉक्टर रितु पांडे द्वारा कमल रेशे निकालने के लिए नये यंत्र का निर्माण किया गया है। उन्होंने बताया कि नए यन्त्र द्वारा एक बार में एक दर्जन रेशे निकाले जा सकते हैं तथा इस प्रक्रिया में हाथों में कमल के काटे भी नहीं लगते। रेशे को लौटस सिल्क भी कहते हैं कमल रेशो का उपयोग वस्त्र बनाने में होता है तथा इन वस्त्रों की क़ीमत भी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में पहुँच अधिक है। धागा निकालने तथा कपड़ा बनाने की प्रक्रिया कैमिकल से रहित है।इसलिए इसका प्रयोग खाद्य पदार्थों की पैकिंग में भी किया जा सकता है। वर्तमान में कमल रेशे निकालने का कार्य भारत, बर्मा, म्यांमार, तथा कंबोडिया में होता है। लोटस सिल्क वस्त्रों की डिमांड यूरोपीय देशों में ज़्यादा है। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉक्टर खलील खान ने बताया कि कुलपति डॉ आनंद कुमार सिंह तथा डीन कम्युनिटी साइंस डॉक्टर मुक्ता गर्ग ने इस अवसर पर डॉक्टर रितु पांडे की सराहना की एवं उन्हें शुभकामनाएं प्रदान की है।
हरिओम की रिपोर्ट