दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश और बिहार से होकर गुजरता है।
उत्तर प्रदेश की 80 और बिहार की 40 लोकसभा सीटों को आगामी लोकसभा चुनावों की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन दोनों राज्यों में अधिक से अधिक सीटें अपनी झोली में लाने के लिए भाजपा इस साल की शुरूआत से ही खासी सक्रिय है। भाजपा उत्तर प्रदेश में अपने “मोहन कार्ड” के जरिए यादव वोट बैंक पर सेंधमारी की बड़ी तैयारी में दिखाई दे रही है। भाजपा इस बात को बखूबी समझ रही है अगर दिल्ली फतह करना है तो बिहार और यूपी में अपनी जड़ें मजबूत करनी होगी, जहां की सियासत में यादव समाज का सबसे बड़ा प्रभाव रहा है।
अखिलेश के किले में सेंधमारी, मोहन के कंधों में आई बड़ी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश में एक दौर में मुलायम सिंह यादव को पिछड़ा वर्ग का सबसे बड़ा नेता माना जाता था जिनका “मुस्लिम और यादव” (माई) समीकरण मजबूत हुआ करता था और पूरे प्रदेश में उनका प्रभाव था। 2022 में उनके निधन के बाद सपा में अखिलेश यादव के सामने उनके परंपरागत वोट बैंक को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है। युवा तुर्क अखिलेश यादव भाजपा की बड़ी जीत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा भी हैं। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी नई राजनीतिक जमावट शुरू कर दी है, जिसमें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव अखिलेश के यादव वोट बैंक के सामने बड़ी चुनौती पेश करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव यूपी की सियासत में भाजपा के लिए बड़ा ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं, जिसकी दूसरी झलक यूपी की राजधानी लखनऊ में आयोजित होने जा रहे पहले यादव महाकुंभ में देखने को मिल सकती है। यूपी में मोहन यादव के दौरे से विपक्ष चिंता में सीएम डॉ. मोहन यादव 13 फरवरी को आजमगढ़ क्लस्टर के अंर्तगत आने वाले 5 लोकसभा क्षेत्रों आजमगढ़-लालगंज-घोसी-बलिया और सलेमपुर लोकसभा क्षेत्रों के पार्टी पदाधिकारियों की बैठकों में शामिल हुए। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज उत्तरप्रदेश में प्रदेश के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में पहुंचने वाले यादव समाज से जुड़े लोगों को संबोधित करेंगे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा डॉ. मोहन यादव के जरिए उत्तर प्रदेश में सपा के यादव वोट बैंक को कमजोर करना चाहती है। क्योंकि मोहन यादव के बिहार दौरे के बाद यादव वोट बैंक बीजेपी की तरफ उत्साहित नजर आया था। अब यूपी में यादव महाकुंभ में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का शामिल होना विपक्ष को चिंता में डाल सकता है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। ऐसा कहा जाता है कि यूपी में जिस पार्टी की जीत होती है केंद्र में उसकी सरकार बनती है। राज्य की कई लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां यादव वोटर्स निर्णाणक भूमिका में रहते हैं। यादव वोटर्स को साधने के लिए भाजपा डॉ मोहन यादव को आगे कर रही है। उत्तर प्रदेश की ओबीसी आबादी में तकरीबन 20 प्रतिशत यादव हैं वहीं उत्तर प्रदेश में 9 फीसदी यादव वोट है जो इटावा , एटा, संत कबीरनगर , बदायूं, फिरोजाबाद, , बलिया , फैजाबाद , जौनपुर, मैनपुरी में निर्णायक है।
सह संपादक
स्मृति यादव की रिपोर्ट