केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम उनकी पुरानी गुना सीट से भेजा गया है।
हालांकि वर्तमान संसद केपी सिंह का नाम भी दोहराया गया है । केपी को गुना से हटाने का कोई कारण नहीं है किन्तु सिंधिया की इच्छा का मान रखा गया तो केपी शहीद हो सकते है। अन्यथा भाजपा कार्यकर्ता सिंधिया के पक्ष में शायद नहीं है। सिंधिया का नाम ग्वालियर सीट से भी जोड़ा गया है । ग्वालियर के मौजूदा संसद विवेक शेजवलकर बहुत ज्यादा लोकप्रिय सांसद नहीं रहे इसलिए उनका बदला जाना तय समझा जा रहा है । उनके स्थान पर सिंधिया के अलावा विधानसभा चुनाव हारे डॉ नरोत्तम मिश्रा और विधानसभा चुनाव लड़ने से वंचित किये गए जयभान सिंह पवैया का नाम भी पैनल में जोड़ा गया ह। पवैया भी एक जमाने में पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव रॉ सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ चुके है। वे ग्वालियर से सांसद भी रहे हैं।
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की आरक्षित भिंड सीट से मौजूदा संसद सुमन राय के स्थान पार यदि सिंधिया की चली तो पूर्व मंत्री इमरती देवी को भी टिकट मिल सकता है । वे सिंधिया की कटटर समर्थक हैं और हाल ही में विधानसभा का चुनाव दूसरी बार हारीं है । इस सीट से हाल ही में विधानससभा का चुनाव हारे पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य को भी टिकट देने की सिफारिश की गयी है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो खंडवा से सुभाष कोठरी, ज्ञानेश्वर पाटिल ,राजगढ़ से मोना सुस्तानी, बंटी बना, रोडमल नागर, अंशुल तिवारी, छिंदवाड़ा से नत्थन शाह कवरेती, डॉक्टर गगन कोल्हे ,टीकमगढ़: वीरेन्द्र कुमार, भारती आर्य, गोपाल राय ,देवास से महेंद्र सिंह सोलंकी, गोपाल परमार, विजय अटवाल, राजेंद्र वर्मा और उज्जैन से अनिल फिरोजिया, चिंतामणि मालवीय को टिकिट देने की सिफारिश की गयी है। बालाघाट से डॉ ढालसिंह बिसेन, गौरीशंकर बिसेन, वैभव पवार ,मंदसौर से सुधीर गुप्ता, पवन पाटीदार, नानालाल अटोलिया और रतलाम-झाबुआ: गुमान सिंह डामोर, दिलीप कुमार मकवाना ,रीवा से जनार्दन मिश्रा, गौरव तिवारी, पुष्पराज सिंह ,सतना से राकेश मिश्रा, शंकरलाल तिवारी का नाम सुझाया गया है। शेष सीटों के बारे में मंथन चल रहा है।
कांग्रेस के पास प्रत्याशियों की लम्बी फेहरिस्त नहीं है । कांग्रेस को प्रत्याशियों को तैयार करना पड़ रहा है ,क्योंकि कांग्रेस के अनेक पुराने प्रत्याशी या तो विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं या मैदान छोड़ चुके है। उदाहरण के लिए मुरैना से पिछली बार चुनाव लडे रामनिवास रावत विधानसभा चुनाव जीत चुके है। इसलिए यहां नया प्रत्याशी तलाशना पड़ेगा। भिंड से एक बार फिर देवाशीष को ही दोबारा आजमाया जा सकता ह। ग्वालियर से चुनाव लड़ने वाले अशोक सिंह को कांग्रेस हाल ही में राज्य सभा भेज चुकी है इसलिए उनके स्थान पर भी पार्टी को नया नाम तय करना होगा। गुना में कांग्रेस के पुराने प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने से नए प्रत्याशी की जरूरत होगी। कमोवेश यही स्थिति दूसरी सीटों पर भी है। प्रत्याशियों के चयन को लेकर कांग्रेस की अपनी तैयारी है किन्तु भाजपा से इस मामले में कांग्रेस अभी पीछे दिखाई दे रही है।कांग्रेस के लिए प्रत्याशी तय करना भाजपा के मुकाबले कठिन नहीं है । भाजपा में एक अनार ,सौ बीमार वाली स्थिति है । कांग्रेस में अनार ज्यादा हैं और बीमार कम ,क्योंकि अभी भी कांग्रेस विधानसभा चुनाव की पराजय से उबरी नहीं है । हालाँकि राहुल गांधी पार्टी में जान फूंकने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं।
स्मृति यादव की रिपोर्ट