उत्तम स्वास्थ्य का आधार “पोषण गृह वाटिका”
कानपुर नगर, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचारित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर की गृह वैज्ञानिक डॉक्टर निमिषा अवस्थी ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कुपोषण का तात्पर्य किसी व्यक्ति की ऊर्जा एवं पोषक तत्व ग्रहण में कमी, अधिकता या असंतुलन से है।यह ऐसी स्थिति है जो किसी व्यक्ति के आहार में ऐसे महत्त्वपूर्ण पोषक तत्वों के अपर्याप्त सेवन से उत्पन्न होती है ।
कुपोषण के मुख्य कारणों में आर्थिक स्तर व अपर्याप्त आहार या उचित पोषण युक्त आहार का न लेना । इससे निपटने का सर्वोत्तम तरीका है गृह वाटिका । उन्होंने बताया कि घर के आस पास परिवार के सदस्यों के रुचि एवम आवश्यकता अनुसार सब्जियों के उत्पादन को ही पोषण गृहवाटिका कहते हैं । उन्होंने सलाह देते हुए बताया कि जिस स्थान पर पोषण वाटिका लगानी हो, वहां की मृदा में जल एवं वायु का प्रवाह अच्छा होना चाहिए। मृदा जितनी भुरभुरी, कार्बनिक खाद एवं जीवांश तत्वों से भरपूर होगी, पैदावार भी उतनी ही अच्छी मिलेगी। जिन व्यक्तियों के पास घर पर खुला स्थान नहीं है, वे अपनी छत पर सब्जियां उगा सकते हैं। आजकल बाजार में अलग अलग आकार के प्लास्टिक बैग, गमले, ट्रे इत्यादि उपलब्ध हैं वे भी इस काम में प्रयोग किए जा सकते हैं। सीमेंट एवं प्लास्टिक के गमले, कबाड़ में अनुपयोगी वस्तुएं जैसे-बाल्टी, प्लास्टिक की क्रेट , ट्रे, मटकियां, बोतल आदि का भी उपयोग कर सकते हैं। इनमें बराबर मात्रा में मिट्टी एवं कम्पोस्ट का मिश्रण भरकर सब्जियों का रोपण एवं बिजाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह जायद का मौसम है इस मौसम में लौकी, तोरई, कद्दू, खीरा, ककड़ी, करेला, टिंडा, भिंडी, टमाटर, बैंगन, मिर्च, पालक, धनिया, चौलाई आदि। सब्जियों के साथ आम, अमरूद, सहजन, किन्नू, संतरा, पपीता, करौंदा, अनार, नीबू, आंवला, आदि फलदार पौधे लगाये जा सकते हैं।
संवाददाता
हरिओम की रिपोर्ट