अरबों खर्च के बावजूद गंगा को प्रदूषित कर रहे नाले, नालों को टैप करने का प्रस्ताव किया गया
रिपोर्ट (डिस्टिक हेड)
राहुल द्विवेदी
कानपुर। गंगा और पांडु नदी में गिर रहे नालों को टैप करने के लिए जल निगम (ग्रामीण) ने पिछले साल 200 करोड़ की योजना बनाकर एनएमसीजी को भेजी थी। एनएमसीजी ने 2 अप्रैल को धनराशि में कटौती करते हुए इस कार्य के लिए 160 करोड़ रुपये स्वीकृत किए, पर आदेश न आने की वजह से टेंडर भी नहीं हो पाए हैं।
गोलाघाट पर गंगा में जाता नाले का गंदा पानी –
विस्तार
कानपुर में जाजमऊ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट संचालन में लापरवाही से ही गंगा मैली नहीं हो रही, बल्कि रानी घाट सहित पांच नाले भी इस राष्ट्रीय नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। इन नालों और पांडु नदी में गिर रहे 11 नालों को टैप करने के लिए एनएमसीजी धनराशि स्वीकृत कर चुका है, पर धरातल पर कार्य शुरू नहीं हुआ। उधर, गंगा में गिर रहे नालों के गंदे पानी को बायोरेमेडिएशन विधि से शोधित करने के नाम पर भी खानापूरी हो रही है।
गंगा बैराज स्थित अटल घाट के बगल में स्थित रामेश्वर घाट नाले (परमिया नाला) से सर्वाधिक गंदा पानी गंगा में जा रहा है। टैप हो चुके परमट नाला के साथ ही भगवतदास घाट नाले से भी गंदा पानी गंगा में जा रहा है। इन नालों के माध्यम से रोज 10 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) गंदा पानी गंगा में जा रहा है। इसी तरह हलवाखाड़ा, सागरपुरी, रफाका, अर्रा नाले के माध्यम से रोज करीब 50 एमएलडी पानी पांडु नदी में जा रहा है। यह नदी फतेहपुर जिले की सीमा के पास गंगा में जा रहा है।




