*सामाजिक आन्दोलन के अग्रेता ज्योतिबा फुले की जयन्ती पर दी गयी पुष्पांजलि*
हमीरपुर-सुमेरपुर। पराधीन भारत मे समाजोत्थान के एवं नायकों के उत्थान के लिए वर्णिता संस्था के तत्तावधान में सुमेरपुर कस्बे में विमर्श विविधा के अन्तर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत सामाजिक आन्दोलन के अग्रेता ज्योतिबा फुले की जयन्ती पर संस्था के अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने श्रद्धान्जलि देते हुये कहा कि ज्योतिबा फुले सही अर्थों मे समाज सुधार आन्दोलन के उन्नायक थे। सामाजिक क्षेत्र मे फुले के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। इनका जन्म 11 अप्रैल 1827 मे पुणे महाराष्ट्र मे गोविंद राव व चिन्मा फुले के घर हुआ था। इनका विवाह 1840 मे सावित्रीबाई फुले से हुआ था। इन्होंने 1873 मे सत्यशोधक समाज की स्थापना की थी। इनकी पुस्तक गुलाम गिरी प्रकाशित होने पर बहुचर्चित रही। फुले ने 1854 मे देश के पहले स्कूल की स्थापना की थी। इनका अछूतोद्धार के मामले मे बडा काम था। इनकी पत्नी तथा ज्योतिबा फुले ने शैक्षिक क्षेत्र मे भी बडा योगदान दिया। इन दोनों को समाज के अवरोध तथा अपमान को झेलना पडा। इन्हें मरवाने का भी प्रयास किया गया, किन्तु दोनों दृढ इच्छा के धनी थे। बिना डरे आगे बढते रहे, कालांतर मे ज्योतिबा फुले की समाज सेवा के आधार पर 1888 मे एक विशाल जनसभा मे इन्हें महात्मा की उपाधि से नवाजा गया। 28 नवम्बर 1890 को इनका निधन हो गया। इस कार्यक्रम मे अशोक अवस्थी, सिद्धा, पंकज सिंह, महावीर, संतोष, विकास, आशुतोष, महावीर प्रजापति, प्रेम, दस्सी, अजय आदि शामिल रहे।
**दीपक धुरिया
ब्यूरो चीफ हमीरपुर**
*सामाजिक आन्दोलन के अग्रेता ज्योतिबा फुले की जयन्ती पर दी गयी पुष्पांजलि*
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