फूल सिंह बरैया ने सिंधिया पर साधा निशाना :ग्वालियर सिंधिया का नहीं हमारा गढ़ हैं..कौन हैं सिंधिया’?
– March 13, 2024
टिकट मिलने से उत्साहित कॉंग्रेस कांग्रेस नेता का बड़ा दावा
ग्वालियर। भिंड से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किए गए फूल सिंह बरैया ने कहा है कि चंबल सिंधिया का गढ़ नहीं है, ये हमारा गढ़ है, मैं जनता के बीच 365 दिन रहता हूं, मैं पीछे से चुनाव लड़ूंगा, मेरे लिए लोग आगे से लड़ेंगें।
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है, जिसमें 43 कैंडिडेट्स के नाम हैं। एमपी के कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची में 10 नाम शामिल किए गए हैं। कांग्रेस उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में एमपी से नकुलनाथ को छिंदवाड़ा, कमलेश्वर पटेल को मध्य प्रदेश के सीधी से टिकट दिया गया है। वहीं भिण्ड से फूल सिंह बरैया को टिकट दिया गया है। टिकट मिलने के बाद उत्साहित फूल सिंह बरैया ने एक बाद एक कई बड़े बयान दे डाले हैं।
इतना ही नहीं बरैया ने कहा कि चंबल सिंधिया का गढ़ नहीं है, ये हमारा गढ़ है, मैं जनता के बीच 365 दिन रहता हूं,मैं पीछे से चुनाव लड़ूंगा, लोग मेरे लिए आगे से लड़ेंगें। बीजेपी के लोग कानून संविधान को नहीं मानते हैं। लॉ एण्ड ऑर्डर को नहीं मानते हैं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या बेरोजगारी के मुद्दे पर कभी मोदी ने कभी संसद बुलाई? क्या चंबल के पढ़े लिखे लोग डाकू बनेगें?
कांग्रेस प्रत्याशी फूल सिंह बरैया ने बीजेपी के 400 से ज्यादा सीटें जीतने के नारे को खारिज करते हुए कहा, 400 तो छोड़िये मोदी जी 200 पार कर जाएं तो मैं मानूंगा कि कुछ हैं.
इससे पहले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता ने प्रतिज्ञा ली थी कि अगर चुनाव में बीजेपी प्रदेश में 50 से ज्यादा सीटों पर जीतेंगी तो वह अपना मुंह काला कर लेंगे. लेकिन बीजेपी ने प्रदेश में 163 सीटें हासिल करके दो तिहाई बहुमत जुटाया, जबकि कांग्रेस महज 66 सीटों पर ही सिमट गई.
उधर, फूल सिंह बरैया को टिकट के बाद कांग्रेस में फूट पड़ गई है. संसदीय क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी देवाशीष जरारिया ने खुलकर नाराजगी जाहिर की है. जरारिया ने सोशल मीडिया पर लिखा, ”मध्यम वर्गीय परिवार से होते हुए 5 साल पेट काट कर क्षेत्र में संघर्ष किया. वफादारी, संघर्ष और ईमानदारी की खूब सजा मिली है मुझे.
मैं भिंड दतिया लोकसभा क्षेत्र के सभी साथियों समर्थकों और शुभचिंतकों से कहना चाहता हूं कि आपको अभूतपूर्व स्नेह को शब्दों में बयां नहीं कर सकता. मेरी पीड़ा केवल मेरी नहीं है, उन सब साथियों की है जिन्होंने रात दिन मेरा साथ दिया. निरंतर परिश्रम और सतत संपर्क रखा. मेरे लिए भी कठिन और चुनौतीपूर्ण समय है, आप लोगों से निवेर्दन है कि धैर्य रखें. मैं जल्द ही आप लोगों।
सह संपादक
स्मृति यादव की रिपोर्ट