पं लक्ष्मीकांत पाण्डेय ने सुनाई गोवर्धन लीला की कथा
मानपुर मनिकापुर में शिवहर्ष सिंह पानू, आशा सिंह, रामकरन सिंह द्वारा आयोजित भागवत कथा का पांचवा दिन
उन्नाव। तहसील बीघापुर क्षेत्र के ग्राम मानपुर मनिकापुर मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान के पांचवे दिन कन्चौसी औरैया से पधारे कथा व्यास पं लक्ष्मीकांत पाण्डेय ने गोवर्धन लीला का वर्णन किया। उन्होंने गोवर्धन लीला का अद्भुत, अविस्मरणीय, मनोरम वर्णन किया। अपनी दिव्य वाणी की पीयूष धारा से श्रद्धालुओं को कृष्ण लीला का रसपान कराया। कथा में पहुचे सदर विधायक पंकज गुप्ता ने भागवत कथा के महत्व का बखान किया। कथा वाचक लक्ष्मीकांत पाण्डेय महाराज ने उपाख्यान वर्णित करते हुए भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला, माखन चोरी का व्याख्यान करते हुए कहा जब श्रीकृष्ण भगवान पहली बार घर से बाहर निकले तो उनकी बृज से बाहर मित्र मंडली बन गई। सभी मित्र मिलकर रोजाना माखन चोरी करने जाते थे। सब बैठकर पहले योजना बनाते कि किस गोपी के घर माखन की चोरी करनी है। श्रीकृष्ण माखन लेकर बाहर आ जाते और सभी मित्रों के साथ बांटकर खाते थे। भगवान बोले कि जिसके यहां चोरी की हो उसके द्वार पर बैठकर माखन खाने में आनंद आता है। माखन चोरी की लीला का बखान करते हुए उन्होंने भगवान कृष्ण के बाल रूप का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण बचपन में नटखट थे। गोवर्धन पूजा का वर्णन करत हुए कहा कि कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सात दिन बाद गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं से जुड़ी कथा को सुनने व अधिकाधिक संख्या में कथा में भागीदार बनने के लिए भक्तों में भारी उत्साह दिखाई पड़ रहा है। इस मौके पर कथा श्रोता आरएसएस के जिला कार्यवाह, सह विभाग प्रचारक शिव शंकर, आशीष के अतिरिक्त रामराज सिंह, रतीभान सिंह, अरुण प्रकाश मिश्रा, दिनकर राव, अनिल सिंह, विनोद सिंह, कृपाशंकर कुशवाहा, सुशील पांडेय, कान्हा सिंह, शरदेंदु मिश्रा, रघुपति सिंह, रमेश तिवारी, शिवेंद्र प्रताप सिंह, विश्वास प्रताप सिंह, अथर्व सिंह आदि सैकड़ो भक्त उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम के यजमान शिव हर्ष सिंह (पानू) व उनकी धर्मपत्नी आशा सिंह सपरिवार थे। जबकि आयोजक के रूप में रामकरन सिंह (कक्का) मौजूद थे।