*राम कथा में आठवें दिवस का भव्य आयोजन – चित्रकूट का पावन प्रसंग*
शुक्लागंज डाक तार कालोनी,
में आज श्री गंगा सेवा समिति और सनातन परिवार के तत्वावधान में आयोजित अमृतमयी राम कथा के आठवें दिवस पर अयोध्या के संत श्री सर्वेश जी महाराज ने भगवान श्रीराम के चित्रकूट प्रवास का पावन प्रसंग प्रस्तुत किया। कथा में चित्रकूट में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी के वनवास के अनुभवों, त्याग, और आदर्श जीवन का विस्तार से वर्णन किया गया।
महाराज जी ने चित्रकूट की प्राकृतिक सुंदरता, उसकी पवित्रता और उस पावन स्थल का महत्व भक्तों को समझाया। उन्होंने भगवान श्रीराम के त्याग और उनके आदर्श चरित्र का सजीव वर्णन किया, जिसमें वनवास के कठिन समय में भी उनके धैर्य, शील, और संयम की भावना को सभी श्रोताओं तक पहुंचाया। कथा के दौरान गोस्वामी तुलसीदास जी के निम्नलिखित दोहे का सुंदर पाठ करते हुए महाराज जी ने इसके गहरे अर्थ को विस्तार से समझाया:
“चित्रकूट के घाट पर, भई संतन की भीर।
तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक करत रघुबीर।।”
इस दोहे में चित्रकूट की महिमा और वहां भगवान राम के साथ संतों की उपस्थिति का अद्भुत चित्रण किया गया। उपस्थित श्रद्धालु इस पावन प्रसंग में भावविभोर हो उठे और माहौल भक्ति के रंग में सराबोर हो गया।
कथा के बीच में एक विशेष भजन प्रस्तुत किया गया:
“सीताराम जय सीताराम
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
भवसागर से पार करो।।”
इस भजन ने सभी श्रद्धालुओं को गहरे तक छू लिया, और भक्तों ने समर्पण के साथ स्वर में स्वर मिलाकर चित्रकूट प्रवास के पावन क्षणों का आनंद लिया।
कथा के समापन के पश्चात, विशेष आरती सत्र आयोजित किया गया, जिसमें सभी भक्तों ने भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी के चरणों में श्रद्धा अर्पित की। आरती के बाद प्रसाद वितरण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।
सार: “चित्रकूट का पावन स्थल भगवान श्रीराम के त्याग और आदर्श जीवन का प्रतीक है।”
इस पावन अवसर पर श्री सुरेश दीक्षित, श्री कांत पाण्डेय, निर्भय मिश्रा, संदीप पाण्डेय एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी पवित्र और भव्य बना दिया। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने इस आयोजन में भाग लेकर चित्रकूट प्रसंग का आनंद लिया और भक्ति में रंगीली भागीदारी की।
संवाददाता
शुभम शुक्ला की रिपोर्ट