*कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाये…उगते सूर्य को अर्घ्य देकर हुआ छठ पर्व का समापन*
सुबह 4 बजे से ही जगमगाए हुये घाट, हुई सतरंगी आतिशबाजी
कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाये…उगते सूर्य को अर्घ्य देकर हुआ छठ पर्व का समापन
उन्नाव, छठी मइया को ऊषा अर्घ्य या भोरवा घाट या फिर बिहनिया अर्घ्य शुक्रवार सुबह आनंद घाट, मोनू घाट, बालूघाट, मिश्रा कॉलोनी घाट, पुराना यातायात पुल के नीचे गंगा के किनारे खड़े होकर व्रती महिलाओं ने दिया। छठ पर्व का समापन उगते हुए सूर्य को दूसरे दिन अर्घ्य देकर किया गया। इस अर्घ्य के बाद छठी मइया के लिए बनाए गए खास ठेकुए और प्रसाद को लोगों में बांटा जाएगा।
बता दें छठ पर्व के अंतिम दिन भक्त प्रसिद्ध छठी मइया के गीत गाते हुए घाट पर पहुंचे। जहां व्रती महिलाओं के अलावा पुरुष भी भोजपुरी गाने गा रहे थे, जैसे छठी माई के घटवा पर आजन बाजन बाजा बाजा बाजी बहू, कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाये और ऊ जे मरबो रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरछाय जैसे भोजपुरी गाने गाए और बजाए जाते हैं।
इन्हीं गानों के साथ झूमते हुए हंसी-खुशी छठी मइया को अर्घ्य देकर संतान प्राप्ति और उनके अच्छे भविष्य की कामना की गयी। इस दौरान गंगा तटों पर जमकर आतिशबाजी हुई। बता दें, हर साल दिपावली के छठे दिन कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है। षष्ठी को शाम और सप्तमी सुबह को सूर्य देव को अर्घ्य देकर छठ पूजा की समाप्ति की जाती है। इस बार छठ पूजा 5 नवम्बर से 8 नवंबर तक मनाई गई।
छठी मइया के इस पर्व को पूर्वांचल और मैथिल के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। छठ पूजा के दिन घर के लगभग सभी सदस्य व्रत रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि छठ का व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है और बच्चों से जुड़े कष्टों का निवारण होता है।
माना जाता है कि छठी मइया का व्रत रखने से सूर्य भगवान की कृपा बरसती है। छठ पूजा के दौरान गंगा तटों पर सुनील झा, वीरेंद्र शुक्ला, अशोक जाले, पालिकाध्यक्ष कौमुदी पांडे, संदीप पांडे, मुकेश झा, दीनानाथ मिश्रा, विकास मिश्रा मौजूद रहे।
ब्यूरो उन्नाव
पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट