सामूहिक रुद्राभिषेक से अन्योन्य लाभ….विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज
शिवजी द्वारा त्रिपुरासुर के वध की अद्भुत अकल्पनीय कथा सुनाई गयी
उन्नाव। भक्ति संगम एवम सेवा संस्थान, श्री बाबा विश्वनाथ सेवा समिति, श्री भीमाशंकर महादेव मंदिर समिति के तत्वावधान में श्री शिव महापुराण कथा के सातवें दिन पी डी नगर के प्रियदर्शिनी गेस्ट हाउस में बनाए गए आकर्षक पांडाल में शंकराचार्य जी की परंपरा के राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता विज्ञाननानंद सरस्वती जी महाराज ने सामूहिक रुद्राभिषेक से होने वाले अन्योन्य लाभों, गणेश जी के विवाह, शिव जी के दोनों रूपों की आराधना विधि के साथ त्रिपुरासुर के वध की कथा विस्तार से सुनाई।
कार्तिकेय द्वारा तारकासुर का वध करने के बाद उसके तीनों पुत्रों ने देवताओं से बदला लेने का प्रण कर लिया। तीनों पुत्र तपस्या करने के लिए जंगल में चले गए और हजारों वर्ष तक अत्यंत दुष्कर तप करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। तीनों ने ब्रह्माजी से अमरता का वरदान मांगा। ब्रह्माजी ने उन्हें मना कर दिया।
तीनों ने खूब विचार कर, ब्रह्माजी से वरदान मांगा- हे प्रभु! आप हमारे लिए तीन पुरियों का निर्माण कर दें और वे तीनों पुरियां जब अभिजित् नक्षत्र में एक पंक्ति में खड़ी हों और कोई क्रोधजित् अत्यंत शांत अवस्था में असंभव रथ और असंभव बाण का सहारा लेकर हमें मारना चाहे, तब हमारी मृत्यु हो। ब्रह्माजी ने कहा- तथास्तु!
शर्त के अनुसार उन्हें तीन पुरियां (नगर) प्रदान की गईं। तारकाक्ष के लिए स्वर्णपुरी, कमलाक्ष के लिए रजतपुरी और विद्युन्माली के लिए लौहपुरी का निर्माण विश्वकर्मा ने कर दिया। इन तीनों असुरों को ही त्रिपुरासुर कहा जाता था। इन तीनों भाइयों ने इन पुरियों में रहते हुए सातों लोको को आतंकित कर दिया। वे जहां भी जाते समस्त सत्पुरुषों को सताते रहते। यहां तक कि उन्होंने देवताओं को भी, उनके लोकों से बाहर निकाल दिया।
सभी देवताओं ने मिलकर के अपना सारा बल लगाया, लेकिन त्रिपुरासुर का प्रतिकार नहीं कर सके और अंत में सभी देवताओं को तीनों से छुप-छुपकर रहना पड़ा। अंत में सभी को शिव की शरण में जाना पड़ा। भगवान् शंकर ने कहा- सब मिलकर के प्रयास क्यों नहीं करते? देवताओं ने कहा- यह हम करके देख चुके हैं। तब शिव ने कहा- मैं अपना आधा बल तुम्हें देता हूं और तुम फिर प्रयास करके देखो, लेकिन सम्पूर्ण देवता सदाशिव के आधे बल को सम्हालने में असमर्थ रहे। तब शिव ने स्वयं त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया।
सभी देवताओं ने शिव को अपना-अपना आधा बल समर्पित कर दिया। अब उनके लिए रथ और धनुष बाण की तैयारी होने लगी।
पृथ्वी को ही भगवान् ने रथ बनाया, सूर्य और चन्द्रमा पहिए बन गए, सृष्टा सारथी बने, विष्णु बाण, मेरूपर्वत धनुष और वासुकी बने उस धनुष की डोर। इस प्रकार असंभव रथ तैयार हुआ और संहार की सारी लीला रची गई। जिस समय भगवान् उस रथ पर सवार हुए, तब सकल देवताओं के द्वारा सम्हाला हुआ वह रथ भी डगमगाने लगा। तभी विष्णु भगवान् वृषभ बनकर उस रथ में जा जुड़े। उन घोड़ों और वृषभ की पीठ पर सवार होकर महादेव ने उस असुर नगर को देखा और पाशुपत अस्त्र का संधान कर, तीनों पुरों को एकत्र होने का संकल्प करने लगे।
उस अमोघ बाण में विष्णु, वायु, अग्नि और यम चारों ही समाहित थे। अभिजित् नक्षत्र में, उन तीनों पुरियों के एकत्रित होते ही भगवान शंकर ने अपने बाण से पुरियों को जलाकर भस्म कर दिया और तब से ही भगवान शंकर त्रिपुरांतक बन गए। त्रिपुरासुर को जलाकर भस्म करने के बाद भोले रुद्र का हृदय द्रवित हो उठा और उनकी आंख से आंसू टपक गए। आंसू जहां गिरे वहां ‘रुद्राक्ष’ का वृक्ष उग आया। ‘रुद्र’ का अर्थ शिव और ‘अक्ष’ का आंख अथवा आत्मा है। पूर्व एम एल सी अरविंद त्रिपाठी गुड्डू ने भगवान शिव को नमन कर महाराजश्री से अशीर्वाद प्राप्त करते हुए उन्नाव के विकास में अपने प्रयासों के बारे में बताया। लोक दल की प्रांतीय महासचिव नम्रता शुक्ला ने नगरवासियों से कथा महायज्ञ में हर संभव योगदान की अपील की।
सप्तम दिवस यजमान जगवीर सिंह व उनकी सहधर्मिणी नीलम सिंह ने पूजन अर्चन कराया और आरती के बाद प्रसाद वितरण कराया। यज्ञ प्रकाश दीक्षित, बच्चन पाण्डेय, ज्ञानेंद्र सिंह, योगेंद्र सिंह चौहान, इन्दु प्रकाश अवस्थी, अमित दीक्षित, साधना दीक्षित, उमा शुक्ला, डॉ शैलेश प्रताप सिंह, हरिप्रसाद साहू, संतोष साहू, नन्हे पटेल, सरिता सिंह, सुनील अवस्थी, अर्चना, एस पी सिंह, गुड़िया चौहान, जगवीर सिंह, डी पी सिंह, अरविंद पटेल, चेतन मिश्रा, बबिता अवस्थी, राखी शुक्ला, प्रतिभा श्रीवास्तव, ललित श्रीवास्तव, राहुल कश्यप, ओम प्रकाश चौरसिया प्रधान, राजेश गुप्ता, महेश गुप्ता, सीतेश सिंह, अधिवक्ता सीमा सिंह, लक्ष्मीकांत, सौरभ मिश्रा, शिवेंद्र अवस्थी, रिंकू शुक्ला, रवि, दुर्गेश यादव, जय शंकर शुक्ला, राहुल शुक्ला आदि ने आरती पूजन में भाग लिया। कथा मुख्य सेवायत अभिषेक शुक्ला ने जानकारी दी कि भक्ति संगम एवम सेवा संस्थान यू ट्यूब और फेस बुक पेज के साथ न्यूज़ वाला चैनल पर कथा का लाइव प्रसारण किया जा रहा है। ई स्काई लैंड लखनऊ और अस्मित ग्रीन सिटी नवाबगंज की ओर से उन्नाव के श्रद्धालुओं के लिए कुछ आकर्षक धोषणाएँ की गईं। कथा व्यवस्थापक रेड क्रॉस उप सभापति डॉ मनीष सिंह सेंगर ने क्षेत्रवासियों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में सपरिवार कथा श्रवण का आवाहन और किसी भी प्रकार से अनुष्ठान की संपूर्णता में योगदान का आग्रह किया। सहयोगी अमित दीक्षित , मेजर शेखर व पारुल सक्सेना ने बताया कि इंडियन इवेंट सोल्यूशन्स द्वारा बच्चों के मस्तिष्क, शारीरिक और चारित्रिक विकास के लिए भजन, भक्ति नृत्य, भक्ति ज्ञान और भक्ति वेश प्रतियोगिताओं का आयोजन होना है जिसके लिए बच्चों का निःशुल्क पंजीकरण शुरू हो चुका है। वाराणसी के आचार्य वृन्दों उदित नारायण द्विवेदी, अतुल मिश्रा व सत्यम पाण्डेय के सस्वर मंत्रोच्चरण और संगीत मंडल के भजन गायक सोनू दीक्षित और संगतकर्ता ओमकान्त एवम अमित गुप्ता के सुमधुर भजनों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने जीवननिर्माणी शिव कथा का पुण्य लाभ अर्जित किया।
सामूहिक रुद्राभिषेक से अन्योन्य लाभ….विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज
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