निर्माण और मरम्मत में खप गए करोड़ों फिर भी जख्म दे रही सड़कें
सड़क निर्माण और मरम्मत में सरकारी खजाने खाली हो गए। फिर राहत के नाम पर लोगों को छलावा ही मिल रहा है। ग्रामीण कस्बों की सड़कों की बात तो आम है। शहर की सड़कों का हाल काफी खराब है। चंद दिनों की बारिश में कुछ माह पहले बनी सड़कें बह गई। कहीं पर गिट्टिया बिखर गई तो कहीं पर बड़े-बड़े गड्ढे खुल गए। लोग कह रहे कि सड़क निर्माण और मरम्मतीकरण में करोड़ों खप गए अफसर और ठेकेदार मालामाल हो गए। फिर भी बदहाल सड़कें जख्म दे रही है।
सूबे के मुखिया के गड्ढामुक्त सड़कों के फरमान को अफसर भले ही अमल में ला रहे है मगर निर्माण व मरम्मत कार्य में औपचारिता निभाई जा रही है। सरकार के फरमान का सहारा लेकर सड़क निर्माण में गुणवत्ता ताक पर रखी जा रही है। शहर के किसी भी मुख्य व मोहल्ले के मार्ग को देखा जा सकता है जहां की सड़कें निर्माण के कुछ माह बाद ही आवागमन में धोखेबाजी करती दिख रही है। गुणवत्ता में ऐसा खेल किया गया है कि बारिश में सड़कों पर भी कीचड़ ,पानी हो रहा है। बड़े-बड़े गड्ढे खुल गये है। गिट्टियां मौरंग सीमेंट छोड़ कर रोड पर बिखर रही। आने जाने वाले लोगों को कई कठिनाइयों का करना पड़ रहा सामना
फिर चाले शहर के छोटा चौराहा से बड़ा चौराहा, लोकनगर, भरत मिलाप आवास विकास जैसे किसी भी मुख्य मार्ग की बात की जाए हर तरफ का हाल खराब है।
हाईवे को जोड़ने वाले लिंक मार्गो पर बदहाली :
मुख्य मार्ग को आईबीपी चौराहा से अनवर नगर होते हुए लखनऊ कानपुर हाईवे से जोड़ने वाला मार्ग काफी जर्जर है कानपुर की ओर जाने वाले वाहन इसी मार्ग से सीधे हाईवे पहुंचते हैं दर्जनों स्थानों पर बड़े गड्ढे और सड़क टूटी होने से चलना भी मुश्किल है कासिम नगर , हाथी वाले मंदिर कोरटबाग जाने में हादसे का डर बना रहता है
बारिश के दिनों इन सड़कों पर चलने वाले जान हथेली पर लेकर चलते है। क्योंकि इनकी बदहाल सेवा हर वक्त हादसों को दावत देती दिख रही है। अफसर और सफेद पोश तो अपनी चार सवारी से निकल जाते है। मगर पैदल व दुपहिया वाहनों से चलने वालों को दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है। जिसके समाधान पर फिलहाल कोई गंभीर नहीं दिख रहा है।
संवाददाता
शुभम शुक्ला की रिपोर्ट