विश्व थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर बाल रोग सभागार हैलेट में कार्यक्रम का आयोजन।
कानपुर नगर, भारतीय बाल रोग अकादमी कानपुर शाखा द्वारा विश्व थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर बाल रोग सभागार हैलेट में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर अमितेश यादव व डॉक्टर यशवंत राव ने कियाl कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉक्टर ए के आर्या ने बताया कि प्रत्येक वर्ष भारत में 10000 से 15 000 बच्चे थैलेसीमिया रोग के साथ पैदा होते हैंl इनमें से ज्यादातर बच्चों में चार से 12 महीना में लक्षण दिखाना शुरू हो जाते हैं जैसे शरीर में खून की कमी, थकान, कमजोरी , भूख न लगना, शरीर का रंग फीका पारना ,तिल्ली एवं लीवर का बढ़ना, शारीरिक विकास में देरी ,चेहरे की बनावट में बदलाव दांतों का बाहर निकलना हड्डी कमजोर होना इत्यादिl
उन्होंने बताया, इसका उपचार पर्याप्त प्रत्येक 3 से चार सप्ताह तक खून चढ़ाना एवं आयरन काम करने की दवाएं देना है lबोन ट्रांस प्लांट द्वारा द्वारा इसका पूरी तरह इलाज किया जा सकता है परंतु या काफी महंगा है जीन थेरेपी इसके उपचार में आशा की नई किरण की तरह है जो कि अभी प्रायोगिक दौर में हैl
डॉ दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि थैलेसीमिया एक गंभीर वंशानुगत हीमोग्लोबिन संबंधी विकार है जिसमें लाल रक्त कणिकाएं समय से पूर्व क्षतिग्रस्त हो जाती है और शरीर में खून की कमी हो जाती है उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया ग्लोबिन जीन में विकृति आने से होता है अगर व्यक्ति में एक जीन खराब होता है तो वह थैलेसीमिया का करियर या माइनर कहलाता है दोनों जीन खराब होने पर थैलेसीमिया मेजर रोग होता है उन्होंने बताया कि माता-पिता दोनों अगर कैरियर होते हैं तो उनके बच्चों में थैलेसीमिया मेजर की संभावना 25% तक होती है बीमारी का इलाज कठिन एवं बचाओ बचाओ बेहतर है l कार्यक्रम का उद्घाटन उप प्रधानाचार्य रिचा गिरी ने किया lकार्यक्रम में डॉक्टर शैलेन्द्र गौतम, डॉक्टर रूपा डालमिया, डॉक्टर प्रतिभा सिंह डॉक्टर नेहा अग्रवाल डॉ वी एन त्रिपाठी आदि डॉक्टर मौजूद रहे।
हरिओम की रिपोर्ट