श्रीनगर से कल दिल्ली लौटेंगे सभी, परिजनों को मिली बड़ी राहत
फिरोज खान की रिपोर्ट
मनेन्द्रगढ़/चिरमिरी। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले में चिरमिरी नगर निगम क्षेत्र से गए चार परिवारों के 11 सदस्य बाल-बाल बच गए। हमला उस समय हुआ जब वे सभी एक रेस्टोरेंट में दोपहर का भोजन कर रहे थे। आतंकी घटनास्थल से मात्र 30 मीटर की दूरी पर मौजूद इन परिवारों को स्थानीय कश्मीरी मित्र नजाकत अली की सूझबूझ और बहादुरी से बचाया जा सका।
घटना के संबंध में कुलदीप स्थापक ने फोन पर बताया कि हमला मंगलवार दोपहर 1 बजे के करीब हुआ। वे सभी परिवार के साथ रेस्टोरेंट में थे, तभी अचानक गोलीबारी की आवाजें आईं और अफरा-तफरी मच गई। आतंकी लोगों का पीछा करते हुए उनकी ओर बढ़े, जिसके बाद सभी रेस्टोरेंट के फर्नीचर के पीछे छिपने लगे। करीब 25 मिनट तक इलाके में गोलियों की तड़तड़ाहट और चीख-पुकार गूंजती रही।
कश्मीरी मित्र बना फरिश्ता
घटना के दौरान सभी अपने-अपने परिजनों से बिछड़ गए थे। इस आपाधापी में अरविंद अग्रवाल की पत्नी और बच्चा कुछ देर तक लापता रहे। लेकिन नजाकत अली और स्थानीय पुलिस की मदद से उन्हें सुरक्षित होटल तक पहुंचा दिया गया। चिरमिरी निवासी कुलदीप स्थापक, शिवांश जैन, अरविंद अग्रवाल और हैप्पी बधावान अपने परिवारों के साथ 18 अप्रैल को कश्मीर घूमने गए थे और 21 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे थे। कुलदीप स्थापक की पत्नी पूर्वा स्थापक वार्ड क्रमांक 13 की भाजपा पार्षद हैं।
महामाया की कृपा से सभी सुरक्षित
परिजनों के अनुसार घटना के दौरान जान का डर ऐसा था कि लोग एक-दूसरे को पहचान नहीं पा रहे थे। राकेश पराशर, जो कुलदीप स्थापक के मामा हैं, ने घटना पर चिंता जताते हुए भारत सरकार से इन सभी की शीघ्र वापसी की मांग की और नजाकत अली के प्रति आभार प्रकट किया।
आज दिल्ली लौटेंगे सभी पर्यटक
हमले में जहां 26 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, वहीं चिरमिरी के ये 11 लोग सुरक्षित होटल में हैं। चूंकि गृहमंत्री और अन्य वीआईपी के आगमन के कारण मंगलवार की सभी फ्लाइट्स रद्द थीं, ऐसे में यह सभी परिवार अब बुधवार को श्रीनगर से दिल्ली रवाना होंगे।
कश्मीरी व्यापारी की बहादुरी से बची चिरमिरी के 11 लोगों की जान
पहलगाम आतंकी हमले के दौरान चिरमिरी से गए 11 पर्यटकों की जान एक स्थानीय कश्मीरी व्यापारी नजाकत अली और उसके परिवार की सूझबूझ से बच सकी। नजाकत अली वर्षों से ऊनी वस्त्रों की बिक्री के लिए चिरमिरी आता रहा है, जिससे उसका अच्छा खासा परिचय यहां के परिवारों से हो गया था।
घटना के समय वह खुद भी चारों परिवारों के साथ था और उसने जान जोखिम में डालकर सभी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। चिरमिरी शहर नजाकत अली और उसके पिता की इस बहादुरी और मानवता के लिए आभार व्यक्त कर रहा है।
अब सभी सुरक्षित, परंतु अनुभव भुलाना मुश्किल
हमले के बाद से पीड़ित परिवार मानसिक रूप से काफी आहत हैं, लेकिन सुरक्षित होने की राहत भी है। श्रीमती अग्रवाल और उनके बच्चे को सेना ने खोजकर होटल पहुंचाया, जिससे सभी परिजनों ने राहत की सांस ली है।
इस घटना ने देशभर को झकझोर दिया है और एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि आतंक का कोई धर्म या जात नहीं होता, लेकिन मानवता हर बार उससे बड़ी साबित होती है।




