शिक्षक तबादला संघर्ष समिति ने भेजे सुझाव
कहा–ट्रांसफर में देरी मतलब शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़—कृष्ण कुमार निर्माण
युक्तिकरण के नाम पर शिक्षकों के पद घटाएं न जाएं—कृष्ण कुमार निर्माण
ट्रांसफर के नाम पर स्कूल मर्जर ना हो और सभी पद खोलें जाएं–कृष्ण कुमार निर्माण,,
करनाल ( राजेन्द्र करनाल )
शिक्षक तबादला करवाओ संघर्ष समिति हरियाणा ने अपने सुझाव ट्रांसफर के लिए बनाई गई कमेटी को वाया मेल भेज दिए हैं।उपरोक्त जानकारी देते हुए संघर्ष समिति के राज्य प्रधान कृष्ण कुमार निर्माण,राज्य महासचिव रामनिवास संगोही और राज्य प्रेस प्रवक्ता ऋषिराज नरवाल ने बताया कि समिति ने जो पहला सुझाव भेजा,वो यही है कि यदि ट्रांसफर में देरी होती है या फिर ट्रांसफर लटकते हैं तो एक तरह से यह शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़ होगा और छात्रों के साथ अन्याय होगा।समिति ने मांग की है कि ट्रांसफर तय समय के अंदर किए जाने सुनिश्चित किए जाएं।राज्य प्रधान कृष्ण कुमार निर्माण ने बताया कि समिति की ओर से यह भी सुझाव दिया कि ऑनलाइन ट्रांसफर ड्राइव चलाते समय कोई भी पोस्ट कैप्ट न की जाए,साथ ही गेस्ट टीचर और एच के आर एन के तहत लगे टीचर की पोस्ट को वेकेंट मानकर उन पर ट्रांसफर की जाए।क्योंकि ऐसा न करने से ट्रांसफर की आत्मा मर जाती है बल्कि नियमित शिक्षको के साथ घोर अन्याय होता और ट्रांसफर ड्राइव का मतलब ही बदल जाता है।2022 तक हुई ट्रांसफर का अनुभव कहता है कि तमाम तरह के सवालों के बीच पचासी प्रतिशत शिक्षक संतुष्ट रहे।समिति ने सुझाव दिया कि इस समय ट्रांसफर ड्राइव चलाया जाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पिछले दिनों जेबीटी शिक्षकों को लगभग सतरह-अठारह हजार के आस-पास जिला अलॉट करके अस्थाई स्टेशन दिए गए हैं,साथ ही कई विषयों के टीजीटी/पीजीटी की नई भर्ती होने के साथ-साथ विभिन्न विषयों की टीजीटी प्रमोशन और कई विषयों की पीजीटी पदों पर प्रमोशन,साथ ही प्रिंसिपल पदों पर तीन सूचियां जारी होने के बाद लगभग दस हजार शिक्षक अस्थाई स्टेशनों पर बैठे हैं और साथ ही जनवरी बाइस में भारी संख्या में डेप्युट टीचर्ज भी हैं।गम्भीर बात यह है कि इनमें सैंकड़ो शिक्षक तो एनिवेहर भी बैठे हैं और जेबीटी में तो ऐसे अनेकों स्कूल हैं जहाँ स्वीकृत पदों की संख्या से ज्यादा शिक्षक हैं और कई स्कूल ऐसे हैं जहाँ स्वीकृत पदों की संख्या के अनुरुप शिक्षक उपलब्ध नहीं है।अतः ऐसे में ट्रांसफर ड्राइव का चलाया जाना बेहद जरूरी है।समिति का सुझाव है कि ट्रांसफर ड्राइव चलाते समय यह ध्यान रखा जाए तो उत्तम होगा कि मॉडल स्कूलों,पीएम श्री स्कूलों के सभी पद खोलें जाएं।समिति ने यह भी सुझाव दिया कि ट्रांसफर ड्राइव हर साल चलाया जाना चाहिए ताकि जिनको अवसर चाहिए।उन्हें मिलता रहे और साथ ही इस समय ट्रांसफर ड्राइव इसलिए भी चलाया जाना बहुत जरूरी है क्योंकि यह पॉलिसी सरकार की ड्रीम पॉलिसी है और यदि ट्रांसफर ड्राइव अटकता,भटकता,लटकता है तो न केवल शिक्षकों की परेशानी का सबब बनता है बल्कि विभाग की साख धूमिल होती है,तो वहीं सरकार के गुड गर्वनेंस पर असर पड़ता है।राज्य प्रधान कृष्ण कुमार निर्माण ने यह भी मांग की कि ट्रांसफर को शिक्षक के तमाम पदों को भरने का विकल्प न माना जाए क्योंकि शिक्षक तो जितने हैं,उतने ही हैं,अतः उन्होंने सुझाव दिया कि हर छात्र को शिक्षक उपलब्ध करवाना हमारा उद्देश्य रहे,जिसके तहत खाली पदों पर रेगुलर भर्ती समयबद्ध तरिके से की जाए,जब तक स्थाई भर्ती नहीं होती,तब तक एच के आर एन के तहत भर्ती करके काम चलाया जा सकता है और ट्रांसफर को स्कूल मर्जर का औजार न बनाया जाए।समिति का मानना है कि विभाग और सरकार की यह नीति एकदम पारदर्शी,भ्रष्टाचार,भाई-भतीजावाद से पूर्णतया रहित है।समिति यह भी मांग करती है कि युक्तिकरण के नाम पर शिक्षकों के पदों को सरप्लस न किया जाए,यह सहन नहीं किया जाएगा।




