दिल्ली की जीत सुरक्षित करती हैं 12 आरक्षित सीटें, भाजपा-आप और कांग्रेस ने झोंकी पूरी ताकत दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक-एक सीट पर राजनीतिक दल अपनी रणनीति बना रहे हैं, लेकिन केंद्र में 12 आरक्षित सीटें हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इन सीटों का इतिहास रहा है कि जिसके हिस्से में जीत आई है वह दल दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब रहा है।खास बात यह भी है कि इन सीटों का जनादेश कभी बिखरता नहीं है। एक दल को अधिकांश सीटें मिलती हैं। इसे देखते हुए भाजपा, आप व कांग्रेस ने पूरी ताकत इन सीटों पर लगाई हुई है। तीनों दलों का दावा है कि आरक्षित सीटों पर उनका ही जोर है।
अतीत में हुए चुनाव और परिणाम पर गौर करें तो आरक्षित सीटों का रुझान लंबे समय बाद बदलता है। वर्ष 1993 में भाजपा के पाले में यह रुझान था। इसके बाद 1998, 2003, 2008 तक कांग्रेस का पलड़ा परिणाम से भारी रहा। इसके बाद 2013 में आप ने इन सीटों पर सेंधमारी की। फिर 2015 और 2020 दोनों चुनावों में ये सभी सीटें आप के खाते में गईं। सीटें चाहे पूरी मिली या कुछ कम, लेकिन जिस दल को मिली उसकी ही सरकार दिल्ली में बनी।
वर्ष 2013 इस मामले में अपवाद रहा कि आप को 9 सीट मिली थीं, लेकिन पूर्ण बहुमत नहीं था। फिर भी आप की कांग्रेस गठबंधन में सरकार बन गई थी। इस तरह स्पष्ट है कि आरक्षित सीटों के मतदाताओं ने अब तक सभी प्रमुख दलों को मौका दिया है। यही तीनों दलों की इस चुनाव में उम्मीदों का आधार है। भाजपा, कांग्रेस पुराना जनाधार वापस पाने के लिए जोर लगा रहीं हैं। वहीं, आप पिछले दो विधानसभा चुनावों में मिली जीत को बरकरार रखना चाह रही है।
विधानसभा चुनाव व परिणाम में आरक्षित सीटों का ब्योरा
1993 – 13 आरक्षित सीटों में से 8 भाजपा और 5 पर कांग्रेस प्रत्याशी जीते। भाजपा की सरकार बनी।
1998 – 12 आरक्षित सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। कांग्रेस की सरकार बनी।
2003- कांग्रेस 10 सीटों पर जीती। दो सीटों पर भाजपा को जीत मिली। सरकार कांग्रेस की बनी।
2008- कांग्रेस ने 9, भाजपा ने 2, बसपा ने एक सीट पर जीत हासिल की। कांग्रेस ने सरकार बनाई।
2013 – आप को 9, भाजपा को 2 और कांग्रेस को 1 सीट पर जीत मिली। आप-कांग्रेस ने गठबंधन सरकार बनाई।
2015-2020 – सभी सीटों पर आप को जीत मिली। आप ने सरकार भी बनाई।
ये हैं आरक्षित सीटें
मंगोलपुरी, मादीपुर, सीमापुरी, त्रिलोकपुरी, सुल्तानपुर माजरा, गोकुलपुर, बवाना, पटेल नगर, कोंडली, अंबेडकर नगर, देवली, करोलबाग
डिस्टिक हेड
राहुल द्विवेदी कि रिपोर्ट