1000 करोड़ की जमीन पर कब्जे का मामला: एसआईटी करेगी जांच; मामले में कई नामजद आरोपियों के घर पड़ी दबिश
कोतवाली थानाक्षेत्र में स्थित पॉश इलाके सिविल लाइंस में नजूल की एक हजार करोड़ से ज्यादा कीमत वाली बेशकीमती जमीन को कब्जाने के प्रयास के मामले में मंगलवार को एसआईटी का गठन कर दिया गया है। डीसीपी पूर्वी के नेतृत्व में की नामजद आरोपियों के घर दबिशें डाली गई। बेशकीमती जमीन का आगे भी रजिस्टर्ड एग्रीमेंट किया गया था। पुलिस इन दस्तावेजों को भी खंगाल रही है।
एडिशनल सीपी कानून व्यवस्था हरीश चन्दर ने बताया कि इस मामले में लेखपाल विपिन कुमार और जमीन पर काबिज सैमुएल सुखदेव सिंह की तहरीर पर दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई थी। इन दोनों रिपोर्ट की विवेचना करने के लिए एसआईटी का गठन किया गया है
एडीशनल सीपी ने बताया कि डीसीपी पूर्वी श्रवण कुमार सिंह के नेतृत्व में एसआईटी कार्य करेगी। इसमें एडीसीपी पूर्वी लखन सिंह यादव, एसीपी कोतवाली आशुतोष कुमार, इंस्पेक्टर कोतवाली संतोष कुमार शुक्ला (मुख्य विवेचक) के अलावा चार इंस्पेक्टर और दरोगा को तैनात किया गया है। टीम इन दोनों आपराधिक प्रकरणों की विवेचना तो करेगी साथ ही पूरे प्रकरण की जांच भी करेगी।
नामजद आरोपियों की तलाश कर रही टीमें
नजूल की जमीन पर कब्जा करने के मामले में पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित को जेल भेजने के बाद पुलिस की टीमें अन्य नामजद 12 आरोपियों की तलाश में लगातार छापेमारी कर रही हैं। डीसीपी पूर्वी के अनुसार ग्वालटोली में जितेश झा और हरबंश मोहाल में आरोपी को शेल्टर देने वाले दिनेश पांडेय के घर पुलिस ने दबिश दी लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
आरोपियों की गिरफ्तारी करने वाली टीम की लीड कार्यवाहक एसीपी कर्नलगंज आईपी सिंह कर रहे हैं। एडिशनल सीपी कानून व्यवस्था हरीश चन्दर ने बताया कि अवनीश दीक्षित को गलत तरीके से पॉवर ऑफ अटार्नी बनाया गया था। दरअसल अवनीश दीक्षित के नाम पॉवर ऑफ अटार्नी करने वाला हरेंद्र मसीह खुद इस जमीन का केयरटेकर था। एक केयर टेकर दूसरे किसी भी व्यक्ति को केयर टेकर नहीं बना सकता है।
जांच में सामने आया कि हरेंद्र मसीह की केयरटेकिंग 2010 में खत्म हो गई थी। जिसके बाद उसे हटा दिया गया था। इस नजूल की जमीन पर 2012 और 2014 में कब्जा करने की कोशिश की गई थी। एडिशनल सीपी के अनुसार अध्याय दो का कॉलम आठ कहता है, कि लीज की अवधि के बाद जमीन राज्य सरकार की संपत्ति हो जाएगी और राज्य सरकार की संपत्ति को न तो कोई खरीद सकता है और न ही बेच सकता है। राज्य सरकार में शामिल हुई इस जमीन को न तो कोई खरीद सकता है और न ही कोई बेच सकता है। डीसीपी पूर्वी ने बताया कि हरेंद्र मसीह पर 17 मुकदमे दर्ज है, उनकी भी तलाश की जा रही है।
सीसीटीवी फुटेज किए जा रहे इकट्ठा, सीडीआर से मिली अहम जानकारी
एडिशनल सीपी ने बताया कि मौके के फुटेज इकट्ठा किए जा रहे हैं। जो भी फुटेज सामने आएंगे, उसे जांच में शामिल किया जाएगा। जो भी पॉवर ऑफ अटॉर्नी और दूसरे कागज सामने आएंगे, उनकी वैज्ञानिक जांच स्पेशल टीम से कराई जाएगी। पुलिस का मानना है कि अवनीश दीक्षित और दूसरे आरोपियों की सीडीआर निकाली गई है, जिससे अहम जानकारी मिली है। अवनीश दीक्षित की कॉल डिटेल में 3 जून को नई सड़क हिंसा में उपद्रव के कुछ जिम्मेदारों के नंबर भी मिले हैं। ये आरोपी इस पूरे मामले में फंडिंग कर रहे थे। इनके साथ प्रापर्टी में भी अवनीश के साझेदार होने की पुष्टि हुई है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि बहुत से साक्ष्य सामने आए हैं। लेकिन इनकी जांच के बाद ही खुलासा किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल करने वालों की जानकारी कर रही पुलिस
रविवार को एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसके बाद पुलिस ने अवनीश दीक्षित की गिरफ्तारी की थी। अवनीश के गिरफ्तार होने के बाद सोशल मीडिया से मैसेज करके लोगों को कोतवाली में बुलाया गया था। यहां लोगों ने जमकर हंगामा किया था। पूरी रात हंगामा होता रहा था। मंगलवार को पुलिस ने हंगामा कर रहे इन लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सोमवार रात पुलिस ने बेस ट्रांसमिशन रिसीवर के माध्यम से साक्ष्य एकत्र किए, जिसमें मैसेज भेजने वाले और कॉल करन वालों की जानकारी मिली है। पुलिस ने इन संदेशवाहक पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पूरी डील में शहर के एक चर्चित भाजपा नेता का बेटा भी शामिल है। इस बात की जांच भी पुलिस कर रही है।
प्रापर्टी की डिटेल हो रही इकट्ठा
अवनीश दीक्षित के साथ रहने वालों का डिटेल भी पुलिस इकट्ठा कर रही है। हालांकि जो लोग वीडियो फुटेज में पुलिस के सामने आए हैं। उनकी संपत्ति का डिटेल निकलवाने का काम शुरू कर दिया है। पुलिस और भी अज्ञात में लोगों का नाम जल्द शामिल कर सकती है। ये लोग शहर के रसूखदारों में से भी एक हो सकते हैं।
सुमित सिंह की रिपोर्ट